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मासूम की आहार व सांस की जुड़ी नली सर्जरी कर अलग की

Lucknow News - लोहिया संस्थान के डॉक्टरों ने जन्मजात बीमारी ओईएसोफागियल एट्रेसिया से पीड़ित एक बच्ची की सर्जरी में सफलता पाई है। यह पहली बार है जब इस प्रकार की सर्जरी की गई है। ऑपरेशन के बाद बच्ची अब स्वस्थ है और...

Newswrap हिन्दुस्तान, लखनऊWed, 19 Feb 2025 07:17 PM
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मासूम की आहार व सांस की जुड़ी नली सर्जरी कर अलग की

लोहिया संस्थान के डॉक्टरों ने मासूम बच्ची की जन्म से जुड़ी आहार व सांस की नली को सर्जरी कर अलग करने में कामयाबी हासिल की है। लोहिया संस्थान के डॉक्टरों ने पीडियाट्रिक सर्जरी विभाग में इस प्रकार की पहली सर्जरी होने का दावा किया है। रायबरेली स्थित बेहतखुर्द निवासी 24 वर्षीय अनीता (बदला हुआ नाम) का निजी अस्पताल में ऑपरेशन से प्रसव हुआ। जन्म के समय बच्ची का वजन सामान्य से कम करीब डेढ़ किलो था। जन्म के बाद मां ने बच्ची को स्तनपान कराने की कोशिश की लेकिन वह दूध पीने में असमर्थ थी। सांस लेने में भी तकलीफ थी। गंभीर अवस्था में डॉक्टरों ने बच्ची को लोहिया संस्थान में रेफर कर दिया। परिवारीजन बच्ची को शहीद पथ स्थित मातृ शिशु एवं रेफरल हॉस्पिटल लेकर पहुंचे। यहां बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. केके यादव, रेजिडेंट डॉ. उर्वशी सिंह ने बच्ची को देखा।

दूध पीने में थी परेशानी

डॉक्टरों ने कई जांचें कराईं। इनकी रिपोर्ट में बच्ची में जन्मजात बीमारी ओईएसोफागियल एट्रेसिया एवं ट्रेकीओइसो फेजीयल फिस्टुला की पुष्टि हुई। इसमें आहार नाल सांस नली से जुड़ी होती है। आहार नाल का ऊपरी का भाग निचले हिस्से से जुड़ा हुआ नहीं होता। नतीजतन दूध पीने में असमर्थता आती है। यह बीमारी चार हजार में एक बच्चे को होती है।

ढाई घंटे चली सर्जरी

पीडियाट्रिक सर्जरी विभाग के डॉ. सौरभ श्रीवास्तव ने बताया कि बच्ची का वजन डेढ़ किलो था। इसलिए सर्जरी काफी चुनौतीपूर्ण थी। इमरजेंसी में ऑपरेशन की तैयारी की गई, जिसमें पीडियाट्रिक सर्जरी विभाग के डॉ. श्रीकेश सिंह व डॉ. सौरभ श्रीवास्तव ने करीब ढाई घंटे तक जटिल सर्जरी की। उसके बाद बच्ची को एनआईसीयू में वेंटिलेटर पर रखा। खून तथा प्लाज्मा चढ़ाया गया। मौजूदा समय में बच्ची वेंटिलेटर सपोर्ट से बाहर है। उसका वजन 1565 ग्राम हो गया है। अब वह मां का दूध पी पा रही है।

ढाई लाख की सर्जरी 25 हजार में हुई

डॉ. सौरभ ने बताया कि निजी अस्पताल में इस ऑपरेशन पर करीब ढाई लाख रुपये का खर्च आता है। लोहिया संस्थान में यह ऑपरेशन महज 25 हजार में हुआ।

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