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बैंक से कर्ज लेकर सरायन नदी साफ करा रहे विधायक

‘माउंटेन मैन दशरथ मांझी को कौन नहीं जानता। बिहार के गया जिले के गहलौर गांव निवासी दशरथ मांझी ने पत्नी को अस्पताल तक ले जाने में बाधा बने पहाड़ को 22 साल में तोड़कर रास्ता बना दिया था। कुछ इसी तरह की...

बैंक से कर्ज लेकर सरायन नदी साफ करा रहे विधायक
हिन्दुस्तान टीम,लखनऊWed, 22 May 2019 11:10 PM
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नाले के रूप में परिवर्तित हुई नदी को सदानीरा बनाने में जुटा सीतापुर का ‘मांझी

दो सौ दिन के अभियान में 40 लाख खर्च, बैंक से लिया 58 लाख कर्ज

सीतापुर । राकेश यादव

‘माउंटेन मैन दशरथ मांझी को कौन नहीं जानता। बिहार के गया जिले के गहलौर गांव निवासी दशरथ मांझी ने पत्नी को अस्पताल तक ले जाने में बाधा बने पहाड़ को 22 साल में तोड़कर रास्ता बना दिया था। कुछ इसी तरह की जिद भाजपा सदर विधायक राकेश राठौर ने ठानी है। उन्होंने नाले में परिवर्तित हो चुकी शहर से गुजरी सरायन नदी को स्वच्छ कराने का बीड़ा उठाया है, इसके लिए उन्होंने बैंक से कर्ज भी लिया है।

गंदे नाले के रूप में पहचान बना चुकी शहर से सटकर निकली सरायन नदी को पुनर्जीवित करने का सदर विधायक राकेश राठौर ने बीड़ा उठाया है। वह भी बिना किसी सरकारी योजना या बजट के। दो सौ दिन के अभियान में नदी शहरी क्षेत्र के आधे भाग में साफ हो चुकी है। विलुप्त हो चुके तमाम जलीय जीव सरायन में दिखने लगे हैं। नगर विधायक बताते हैं कि उन्हें याद है बचपन में वह अपने पिता के साथ नदी तट पर जाते थे तो पानी में उछलकूद करती मछलियां साफ दिखाई देती थीं। आबादी बढ़ी, नदी का अवैध तरीके से दोहन शुरू हुआ और वर्ष 2008 तक नदी नाले के रूप में परिवर्तित हो गई। वर्ष 2010 से तो इसकी पहचान नाले के रूप में हो गई।

कर्ज लेकर खरीदी पोकलैंड मशीन:

विधायक बनने के बाद श्री राठौर ने सरायन की सफाई का बीड़ा उठाया। कुछ दिन अभियान चला लेकिन निजी संसाधन पर्याप्त न होने की वजह से बीच में रोकना पड़ा लेकिन विधायक ने हार नहीं मानी। उन्होंने अपने छोटे भाई अनुपम के नाम बैंक से 40 लाख कर्ज लेकर पोकलैंड मशीन खरीदी। नवम्बर 2018 से दोबारा सरायन सफाई शुरू करवाई। बीच में चुनावी व्यस्तता के कारण कुछ दिन काम बंद रहा। गुरुवार को सफाई अभियान के दो सौ दिन पूरे होने जा रहे हैं। शहरी क्षेत्र में नदी की सफाई लगभग पूरी हो चुकी है।

नदी की गाद व कचरे से सुंदर तट बन गए:

नदी की तलहटी से निकली गाद और कचरे से सुंदर तट बन गए हैं जिस पर आसपास के वाशिंदे सुबह-शाम की सैर करते दिखाई देते हैं। आसपास के मोहल्लों में लगे बंद पड़े हैण्डपम्प दोबारा पानी देने लगे हैं। वाटर लेबल बढ़ गया है।

40 लाख में दिख रहा करोड़ों का काम:

नगर विधायक के मुताबिक दो सौ दिन के अभियान में लगभग चालीस लाख रुपए खर्च हुए हैं जबकि सरायन नदी और तटबंध को देखकर लगता है कि करोड़ों रुपए का कोई सरकारी प्रोजेक्ट हो। विधायक के मुताबिक पोकलैंड मशीन पर डीजल और मोबिल आदि में सात-आठ हजार रुपए प्रतिदिन खर्च होते हैं।

पुल और नालों में लगवाई जाली:

सफाई के बाद नदी में कूड़ा न पहुंचे इसके लिए विधायक ने कैंची पुल और पक्का पुल के दोनों ओर ऊंची-ऊंची लोहे की जालियां लगवा दी हैं। नदी में गिरने वाले तमाम नालों में जालियां लगवा दी हैं जिससे पॉलिथीन आदि नदी में न पहुंच सके।

नगरपालिका करे सहयोग तो बने बात:

तटवर्ती मोहल्लों की आबादी के नाले सरायन नदी में गिरते हैं जिनसे पॉलिथीन के अलावा कूड़ा-कचरा भी नदी तक पहुंचता है। जालियां लगने से पॉलिथीन आदि नदी में तो नहीं पहुंच पा रही लेकिन नालों की सफाई न होने से जालियां चोक होने लगी हैं। नगरपालिका के जिम्मेदार यदि नालों की सफाई नियमित करवाएं तो जालियां चोक नहीं होंगी और नदी में कचरा भी नहीं जाएगा।

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