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शारदीय नवरात्र : गांव गरीब का पूजा स्थान, सम्मय थान और काली थान

ग्रामीण क्षेत्रों में गांव और छोटे बड़े मजरे में स्थापित दो हजार से अधिक काली थान व हर दस पांच गांव के बीच बने सम्मय थान गरीब और कमजोर वर्ग के देवी पूजन का मुख्य स्थान है।  यहां हर पर्व व शुभ...

शारदीय नवरात्र : गांव गरीब का पूजा स्थान, सम्मय थान और काली थान
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हिन्दुस्तान संवाद,गोण्डा।Tue, 16 Oct 2018 04:37 PM
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ग्रामीण क्षेत्रों में गांव और छोटे बड़े मजरे में स्थापित दो हजार से अधिक काली थान व हर दस पांच गांव के बीच बने सम्मय थान गरीब और कमजोर वर्ग के देवी पूजन का मुख्य स्थान है। 
यहां हर पर्व व शुभ अवसर पर भक्त अरदास लगाकर आत्म संतोष पाता है। नीम, पीपल, बेल, बरगद अथवा आम पेड़ के नीचे सदियों से मिट्टी अथवा अन्य पदार्थ की पिंडी बना कर पूजा करने की परम्परा चली आ रही है। शारदीय नवरात्र में इन दिनों जयनगरा के कालीथान, पंतनगर, पथवलिया, बांसोपुर व जानकीनगर के बेला सम्मय में पूजा की धूम है। यहां न पूजा पाठ में दक्षिणा की कोई शर्त है और न कोई विशेष कर्मकांड है, सबकुछ भक्त अपनी श्रद्धा व परम्परा के अनुसार कर्ता है। गांव के गरीब यहां बच्चों  पशुओं की हारी बीमारी से मुक्ति से लेकर सभी समस्याओं के छुटकारा मिलने पर झालर चढ़ाने के साथ बधाव बजाने व रास पचरा गीत संगीत का आयोजन करते हैं।
काली पूजा की परम्परा पर जयनगरा में पूजा समारोह के मुख्य आयोजक ग्राम प्रधान लक्ष्मी नरायन पाठक ने बताया कि कालीथान व सम्मय थान पर पिंडी बना कर पूजन की परम्परा है। भक्तगण कागज की झालर, प्रसाद  चढ़ाने के साथ  थान पर बधाव बजाने के साथ भण्डारें का आयोजन करते हैं और विभूति प्रसाद में ले जाते हैं। गांव की कुल देवी के रूप में काली थान की मान्यता होने के कारण नवरात्र के साथ परिवार के प्रत्येक मांगलिक कार्यों को निर्विघ्न   पूरा करने के लिए देवी पूजा की जाती है। भक्त काली थान व सम्मय माता थान पर सोमवार व शुक्रवार को पूजा के साथ फेरी परिक्रमा भी करते हैं।
कण-कण में विराजमान हैं देवी माता: काली माता पृथ्वी के कण-कण, प्रकृति व जड़ चेतन में विराजमान मानी जाती हैं। माता के रूप में वह मानव की रक्षा व दुष्टों का संहार करके समाज में सुख शांति लाती हैं। 

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