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सावन विशेष : शिव भक्तों की आस्था और विश्वास का प्रतीक है बलेश्वरनाथ मंदिर 

उत्तर प्रदेश के गोंडा जिला मुख्यालय से 21 किमी दूर डुमरियाडीह से तरबगंज मार्ग पर ग्राम पंचायत बाल्हाराई में स्थित पौराणिक शिव मंदिर है जो बलेश्वरनाथ नाम  से प्रसिद्ध है। ये मंदिर डुमरियाडीह से 5...

सावन विशेष : शिव भक्तों की आस्था और विश्वास का प्रतीक है बलेश्वरनाथ मंदिर 
कमर अब्‍बास,गोंडा । Sun, 21 Jul 2019 01:21 PM
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उत्तर प्रदेश के गोंडा जिला मुख्यालय से 21 किमी दूर डुमरियाडीह से तरबगंज मार्ग पर ग्राम पंचायत बाल्हाराई में स्थित पौराणिक शिव मंदिर है जो बलेश्वरनाथ नाम  से प्रसिद्ध है। ये मंदिर डुमरियाडीह से 5 किमी है। यहां टैक्सी, टेम्पो और निजी वाहनों से जाया जा सकता है। यहां सावन अधिमास और अन्य शिवपर्वों पर मेला लगता है जिसमें जिले के कोने-कोने के श्रद्धालु आते हैं, वैसे धार्मिक गतिविधियां यहां हमेशा चलती रहती हैं।

मंदिर का इतिहास : इस मंदिर के इतिहास के बारे में श्रीमद्भागवत में उल्लेख मिलता है। अयोध्या नरेश मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम के पूर्वज सुद्युम्न शिव-पार्वती के वर्जित क्षेत्र में जाने से शापित हो स्त्री हो गए। शाप समन के लिए उन्होंने शिवलिंग की स्थापना की। वही दंतकथा के अनुसार यह क्षेत्र बेल का जंगल था। मुगल शासक की सेना यहां रुकी तो भोजन निर्माण के लिए सूखे बेल के पेड़ को काटने पर शिव लिंग निकला साथ जिसे सैनिकों ने आरे से काटने का प्रयास किया जिससे खून की धार के साथ मधुमक्खी, सांप, बर्रे आदि ने हमला कर दिया। सैनिक भाग गए फिर क्षेत्रीय जनता के आपसी सहयोग से मंदिर निर्माण हुआ। बेल से निकले शिवलिंग के कारण इसका नाम विल्वेश्वर नाथ रखा जो कालांतर में बालेश्वर नाथ पड़ा। 

मंदिर में तैयारियां:
सावन में श्रद्धालुओं को दिक्कत न हो इसके लिए मंदिर परिसर की साफ-सफाई की गई, नलों को दुरुस्त किया गया। मंदिर परिसर की जमीन विवादित होने के कारण जमीन का समतली कारण न होने से बरसात होने पर जलभराव से दिक्कत होगी।

विशेष : पुजारी शिवभगवान ने बताया कि इस मंदिर का पौराणिक इतिहास है इसके निर्माण के बारे में श्रीमद्भागवत में वर्णित है। यहां पूरे वर्ष भागवत भंडारे और अखंड रामायण समेत अनेक धार्मिक आयोजन होता रहता है। पुत्र प्राप्ति पर पुतली लिखाई भी होती है। श्रद्धालु प्रमोद पांडेय ने बताया कि इस मंदिर के प्रति लोगों में गहरी आस्था है। यहां मन्नतें भी पूरी होती है। सावन में गरीब- अमीर और सभी जातियों के लोग बिना भेदभाव के एक साथ नतमस्तक होते है। पूरे माह यहां पूजन अर्चन होता रहता है।

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