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स्वामी विश्वेश तीर्थ के निधन पर संतों में शोक

कनार्टक के उड़प्पी स्थित मधोक्ष आश्रम पीठाधीश्वर स्वामी विश्वेश तीर्थ के आकस्मिक निधन से संत समाज के हिन्दू संगठन शोकाकुल हैं। वह दक्षिण भारत में हिन्दुत्ववादी विचारधारा के सर्वमान्य प्रतीक पुरुष...

स्वामी विश्वेश तीर्थ के निधन पर संतों में शोक
कमलाकान्त सुन्दरम्,अयोध्या (फैजाबाद)।Sun, 29 Dec 2019 06:08 PM
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कनार्टक के उड़प्पी स्थित मधोक्ष आश्रम पीठाधीश्वर स्वामी विश्वेश तीर्थ के आकस्मिक निधन से संत समाज के हिन्दू संगठन शोकाकुल हैं। वह दक्षिण भारत में हिन्दुत्ववादी विचारधारा के सर्वमान्य प्रतीक पुरुष थे। 
अस्सी के दशक में आरम्भ हुए मंदिर आन्दोलन के सूत्रधारों में उनका भी नाम प्रमुखता से शामिल रहा। विहिप व संघ परिवार के साथ कंधे से कंधा मिलाकर दक्षिण भारत में आन्दोलन को विस्तार में भी उन्होंने अहम भूमिका निभाई। फिर भी उनकी यह खासियत रही कि जब भी सरकार और संगठन के बीच गतिरोध पैदा हुआ, उन्होंने सेतु बनकर संतुलन बनाने की हर संभव कोशिश की।
मंदिर आन्दोलन के शलाका पुरुष महंत रामचंद्र दास परमहंस व गोरक्ष पीठाधीश्वर व रामजन्मभूमि मुक्ति आन्दोलन समिति के अध्यक्ष के करीबी रिश्तों के साथ विहिप सुप्रीमों अशोक सिंहल के सर्वाधिक प्रिय संतों में उनकी गिनती थी। श्री सिंहल उनके प्रति गहरी श्रद्धा रखने के साथ समय-समय पर उनकी सलाह लेते थे। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, पीवी नरसिंहाराव से लेकर अटल बिहारी वाजपेयी से भी उनके आत्मीय रिश्ते थे। छह दिसम्बर 92 की घटना के बाद प्रधानमंत्री नरसिंहा राव ने उन्हें रामजन्मभूमि न्यास से अलग कर रामालय ट्रस्ट से जोड़ने की कोशिश की लेकिन उन्होंने प्रस्ताव ठुकरा दिया।
उधर विवादित ढांचे के ध्वंस के बाद आन्दोलन भले ढ़ाल पर आ गया लेकिन उन्होंने श्रीअवध से अपना नाता बनाए रखा।  इसी सिलसिले में ही उन्होंने मधोक्ष आश्रम की शाखा भी अयोध्या में वर्ष 2004 में स्थापित की और प्रमोदबन मोहल्ले में मंगलम् धर्मशाला को खरीदा और फिर उसे व्यवस्थित स्वरूप प्रदान किया। पुन: इसी बहाने वह कनार्टक के श्रद्धालुओं का दल लेकर प्रतिवर्ष यहां आते रहे। साल 2019 में अंतिय बार वह जून माह में उस समय आए थे जब न्यास अध्यक्ष महंत नृत्यगोपाल दास के 89 वें जन्मदिवस समारोह में भाग लेने आए थे। 
 

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