ग्रामीण उपभोक्ता डिमांड बढ़ाकर मंदी से निपट सकते हैं:आईआईए
देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए ग्रामीण उपभोक्ताओं की डिमांड बढ़ानी होगी। देश में हर वर्ष लगभग दो लाख करोड़ का खाद्यान्न सड़ जाता है। इसको रोका जाए तो ‘रूरल डिमांड इकॉनमी में बूस्ट आएगा।...
देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए ग्रामीण उपभोक्ताओं की मांग बढ़ानी होगी। देश में हर वर्ष लगभग दो लाख करोड़ का खाद्यान्न सड़ जाता है। इसको रोका जाए तो ‘रूरल डिमांड इकॉनमी में बूस्ट आएगा। इसके लिए सरकार को सस्ता व निर्बाध बिजली गांवों तक पहुंचानी होगी। यह बातें आर्थिक विशेषज्ञों ने गिरती अर्थव्यवस्था पर हुए एक कार्यक्रम में कही।
रविवार को इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन (आईआईए) के लखनऊ चैप्टर ने आर्थिक मंदी से जूझ रहे उद्योग एवं व्यवसाय कोबचाने के लिए ‘एमएसएमई को बढ़ाने के लिए सुझाव और उपाय विषय पर संगोष्ठी आयोजित की। प्रो. अरविंद मोहन ने कहा कि जीएसटी जो कि अच्छी पहल हो सकती थी। लेकिन सरकार ने इसे जल्दबाजी और गलत समय व अनुचित तरीके से लागू करने का प्रयास किया जिससे इसका प्रतिकूल प्रभाव दिखाई दे रहा है। वहीं एमएसएमई उद्योग को बढ़ावा देने के लिए बनाई गई सिंगल विंडो स्कीम भी लालफीताशाही की भेंट चढ़ गई। इसके साथ ही उद्योग को रोकने में नियम व शर्तों ने भी भूमिका निभाई। इस संगोष्ठी में प्रो. मनीष हिन्दवी, सिद्धार्थ कलहंस व उद्योग जगत से रजत मेहरा व चेतन भल्ला ने सहभागिता की। आईआईए लखनऊ चैप्टर के चेयरमैन अवधेश अग्रवाल, मोहित बंस, मोहित सूरी, संजीव अग्रवाल समेत अन्य लोगों ने विशेषज्ञों से सवाल किए।