लॉक डाउन में विभागाध्यक्ष के फील्ड दौरे को लेकर बवाल
नोट- बिना उचित दूरी एवं बिना मास्क के मऊ एवं प्रतापगढ़ में हुई बैठकों से जुड़े फोटो भी हैं..../ प्रमुख...
प्रमुख संवाददाता--राज्य मुख्यालयकोरोना महामारी के कारण जारी लॉकडाउन में वन विभाग के विभागाध्यक्ष राजीव गर्ग द्वारा विभिन्न जिलों के किए जा रहे दौरे को लेकर पूरे विभाग में बवाल मच गया है। विभाग के अलग-अलग संवर्ग के संगठनों ने तो बकायदा शासन को पत्र भेजकर यहां तक आरोप लगाया है कि विभागाध्यक्ष जगह-जगह दौरे कर प्रदेश को कोरोना संक्रमित करने के अभियान में लगे हैं। शासन को सादे कागज पर भेजे शिकायती पत्रों में संगठनों ने लिखा है कि 19 अप्रैल को प्रतापगढ़ फिर इलाहाबाद और अब 26 अप्रैल को मऊ, बस्ती व संतकबीरनगर के बखिरा झील का दौरा करते हुए लखनऊ पहुंचे हैं। आगे भी इनके द्वारा अन्य जिलों का भ्रमण किया जाना है। लॉकडाउन के प्रारम्भ में राजीव गर्ग सीतापुर सहित लखीमपुर का भी दौरा कर चुके हैं, ऐसे में सबसे बड़ा सवाल उठता है कि जब मुख्यमंत्री एवं मुख्य सचिव तक वीडियो क्रान्फ्रेंसिंग के माध्यम से सरकारी कामकाज निपटा रहे हैं तो फिर वन विभाग के विभागाध्यक्ष ऐसा खतरनाक कदम क्यों उठा रहे हैं।शिकायतों में कहा गया है कि 19 अप्रैल को राजीव गर्ग ने प्रतापगढ़ वन रक्षक प्रशिक्षण केन्द्र मे प्रशिक्षुओं के साथ बिना मास्क के बैठक किया। उनके साथ इलाहाबाद के चीफ कमलेश कुमार भी बिना मास्क के नजर आए। राजीव गर्ग इतने पर ही नही रुके। मऊ स्थित वन रक्षक प्रशिक्षण केन्द्र पर भी प्रशिक्षुओं के साथ उन्होंने बिना मास्क के बैठक की। उनके साथ साथ बस्ती के कन्जरवेटर शेषनारायण मिश्रा भी बिना मास्क के बैठक में नजर आए, यहां तक कि तमाम प्रशिक्षु भी बिना मास्क के बैठक में शामिल हुए। राजीव गर्ग के सम्पर्क में आए सैकड़ों वनकर्मियों में से यदि एक भी कोरोना पाजिटिव निकला तो विभागाध्यक्ष के माध्यम से प्रदेश के बहुत से जिलों पर आफत पड़ सकती है। यहां यह भी गौर करने लायक है कि इस समय लखनऊ, बस्ती व संतकबीरनगर कोरोना के हॉटस्पाट बने हुए हैं। ऐसे में विभागीय मुखिया द्वारा फील्ड में रेड जोन के अलग-अलग जिलों का दौरा कर वापस ग्रीन जोन में जाना खतरे से खाली नहीं माना जा रहा।