शोध :यौन शोषित मासूम का मन हो सकता पीटीएसडी का शिकार
मासूम यौन शोषण की बढ़ती घटनाएं सभ्य समाज को कौतुहल व हैरानी के मनोभाव से भर देती है। मन में ये प्रश्न भी उठता है कि आखिर कुछ लोग ऐसा कृत्य क्यों करते हैं?। मनदर्शन-मिशन व किशोर मित्र क्लीनिक...
मासूम यौन शोषण की बढ़ती घटनाएं सभ्य समाज को कौतुहल व हैरानी के मनोभाव से भर देती है। मन में ये प्रश्न भी उठता है कि आखिर कुछ लोग ऐसा कृत्य क्यों करते हैं?।
मनदर्शन-मिशन व किशोर मित्र क्लीनिक के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित विशेष ‘इन्नोसेंट सेक्सुअल एब्यूज’ विषय पर निदानात्मक शोध रिपोर्ट ने मासूम यौन शोषण करने वाले लोगों की इस रुग्ण मनोवृत्ति का खुलासा कर दिया है जिसे मनोविश्लेषण की भाषा में ‘पीडोफिलिया’ कहा जाता है। ऐसे कृत्य से आनंद की प्राप्ति करने वाले लोगो को ‘पीडोफिलिक’ कहा जाता है।
मनदर्शन हेल्पलाइन व किशोर मित्र क्लीनिक के डाटा बेस में ऐसे बहुत से मासूमों ने गोपनीयता के आधार सेक्सुअल एब्यूज की घटना को प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से स्वीकार किया और इन मासूमों में सेक्सुअली अब्यूज्ड ट्रॉमेटिक डिसऑर्डर के लक्षण भी पाये गए। इतना ही नहीं, एनएसपीसीसी के आंकड़ों के अनुसार सत्तर फीसदी से मासूम यौन शोषण करीबियों, दोस्तों व रिश्तेदारों द्वारा किये जाते हैं।
मनोगतिकीय लक्षण भी है शामिल :जिला चिकित्सालय के किशोर मनोपरामर्शदाता डॉ. आलोक मनदर्शन के अनुसार सेक्सुअली अब्यूजड ट्रामैटिक डिसऑर्डर ऐसी मनोदशा होती है जिससे मासूम के न चाहते हुए भी भयाक्रांत व बेचैन कर देने वाली स्मृतियाँ उसके मन पर बार-बार इस तरह हावी हो जाती है कि वह चीखना-चिल्लाना, भागना व अनाप-शनाप बकना जैसी असामान्य हरकतें कर सकता है और घटना के बारे में बात करते हुये मूर्छित भी हो सकता है।
बचाव व उपचार : ऐसे मासूमों के परिजन व रिश्तेदार घटना विशेष के दौरान घटित बातों को बताने के लिए मरीज को हतोत्साहित करे और ऐसे दृश्यों व अन्य उत्प्रेरकों से मरीज़ को दूर रखे, जिससे उसके साथ घटी घटना की स्मृतियां पुनवर्धित हो। साथ ही मासूम का ध्यान मनोरंज़क व अन्य गतिविधियों में लगाने की कोशिश करे जिससे उसका आवेशित मन धीरे-धीरे उदासीन हो सके। वर्चुअल एक्सपोजर थिरेपी, डीसेंसिटाईजेशन थिरेपी व मेंटल कैथार्सिस जैसी सपोर्टिव कॉग्निटिव थेरेपी ऐसे पीड़ित मासूमों के लिए बहुत ही कारगर है।