बाबरी मस्जिद पर पुनर्विचार याचिका दाखिल हो
Reconsideration petition should be filed on Babri Masjid
बाबरी मस्जिद प्रकरण में मिलकियत को लेकर पुनर्विचार याचिका दाखिल होनी चाहिए। मुसलमानों पर लगाए गए सारे आरोप को सुप्रीम कोर्ट ने सिरे से खारिज कर दिया है। बाबरी मस्जिद टूटने के बाद पूर्व प्रधानमंत्री नरसिंहा राव के समय संसद में धर्म स्थल विधेयक पास हुआ था जिसमें यह निर्णय हुआ था कि 1947 में आजादी के बाद जो-जो धर्मस्थल जैसे हैं उन्हें वैसे ही रखा जाए। इस बिल को लागू किया जाए, ताकि दूसरी इबादत गाहें सुरक्षित रहें। यह बातें शुक्रवार दारुल शफा में अयोध्या प्रकरण पर आयोजित प्रेसवार्ता के दौरान समाजवादी पार्टी से निजामाबाद, आजमगढ़ से विधायक आलम बदी आज़मी ने कही।
उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने यह साफ स्पष्ट कर दिया है कि 1949 में मस्जिद में मूर्ति रखना, 1986 में मस्जिद का ताला खोलकर पूजा पाठ कराना और 1992 में मस्जिद को गिराया जाना असंवैधानिक था। जबकि इस बात का कोई तथ्य सामने नहीं आया है कि अयोध्या में मंदिर तोड़कर मस्जिद बनवाई गई थी। सरकार को चाहिए कि वह 1991 में संसद में पास बिल को लागू करें ताकि मुसलमान अपने को ठगा महसूस न करें।