बुलेट ट्रेन संचालन में आरडीएसओ के इंजीनियर निभाएंगे अहम रोल
54 दिनों के लिए जापान गया इंजीनियरों का दल
आरडीएसओ लखनऊ के 15 इंजीनियर सीखेंगे जापान में बुलेट ट्रेन की बारिकियां
54 दिनों के लिए जापान गया इंजीनियरों का दल
देश व रेलवे की सबसे महत्वकांक्षी योजना बुलेट ट्रेन संचालन में आरडीएसओ लखनऊ के 15 इंजीनियर अहम भूमिका अदा करेंगे। आम ट्रेनों से अलग बुलेट ट्रेन के संचालन व उसकी बारिकियां परखने के लिए आरडीएसओ के इंजीनियर जापान में डेरा डाले हुए हैं।
भारत जापान के सहयोग से अहमदाबाद से मुम्बई के बीच बुलेट ट्रेन चलाने जा रहा है। 500 किलोमीटी की इस परियोजना पर 1088 अरब रुपए खर्च किए जाएंगे। बुलेट ट्रेन अहमदाबाद-मुम्बई के 500 किलोमीटर के सफर को महज 3 घंटे में पूरा कर देगी। बुलेट ट्रेन के लिए स्पेशल एलिवेटेड कारिडोर बनाया जा जाएगा। साथ ही करीब 15 किलोमीटर का सफर ये समुद्र के अंदर तय करेगी। बुलेट ट्रेन की रफ्तार करीब 350 किलोमीटर प्रतिघंटा होगी। भारत में बुलेट ट्रेन का सपना 15 अगस्त 2022 तक पूरा होने की उम्मीद है।
54 दिन की यात्रा पर गए हैं 15 इंजीनियर
जापान को इसी साल बुलेट ट्रेन की सर्वेक्षण रिपोर्ट सौंपनी है। यह देश की पहली बुलेट होगी। इसलिए बारिकियों को समझने के लिए आरडीएसओ के 15 इंजीनियर 54 दिनों की यात्रा पर जापान रवाना हुए हैं। इंजीनियर वहां पर बुलेट ट्रेन का संचालन, सिग्नलिंग समेत अन्य कई अहम जानकारियों को हासिल करेंगे। साथ ही इस जानकारी को इस परियोजना से जुड़े दूसरे इंजीनियरों को भी बांटेंगे। आरडीएसओ महानिदेशक एम हुसैन ने बताया कि आरडीएसओ के इंजीनियरों का दल यहां से रवाना हो चुका हैं।