अल्ट्रासोनिक ब्रोकेन रेल डिटेक्शन तकनीक रोकेगी रेल फ्रेक्चर से हादसे
रेल हादसे रोकने के लिए आरडीएसओ ने डेवलप की तकनीकरेल फ्रेक्चर से होने वाले हादसों को रोकने के लिए आरडीएसओ ने एक नई तकनीक खोज ली है। आरडीएसओ अल्ट्रासोनिक किरणों के जरिए रेल फ्रेक्चर का पता लगा लेगा। इस...
रेल हादसे रोकने के लिए आरडीएसओ ने डेवलप की तकनीक
रेल फ्रेक्चर से होने वाले हादसों को रोकने के लिए आरडीएसओ ने एक नई तकनीक खोज ली है। आरडीएसओ अल्ट्रासोनिक किरणों के जरिए रेल फ्रेक्चर का पता लगा लेगा। इस तकनीक को इंजन में लगाया जाएगा। रेल फ्रेक्चर पर किरणें पड़ते ही इंजन में अलार्म बजना शुरू हो जाएगा और लोको पायलट को इसकी जानकारी हो जाएगी। ये जानकारी बुधवार को आरडीएसओ के एडीजी जेएस सोंधी ने दी। उन्होंने कहा कि इस तकनीक के इस्तेमाल के बाद हादसों पर लगाम लगेगी। जल्द ही इस टेक्नोलॉजी को ट्रेनों में लगाना शुरू कर दिया जाएगा।
मानक अनुसंधान व अभिकल्प ब्यूरो आरडीएसओ के एडीजी ऐएस सोंधी ने बताया कि आरडीएसओ काफी समय से अल्ट्रासोनिक ब्रोकेन रेल डिटेक्शन पर काम कर रहा है। काफी प्रयासों के बाद इस तकनीक को डेवलप किया गया है। इस तकनीक को अल्ट्रासोनिक ब्रोकेन रेल डिटेक्शन सिस्टम नाम दिया गया है। इस सिस्टम को ट्रेनों के इंजन में लगाया जाएगा। इससे निकलने वाली अल्ट्रासोनिक किरणें जब रेल फ्रेक्चर पर पड़ेंगी तो इंजन में अलार्म बजना शुरू हो जाएगा। इससे लोको पायलट को फ्रेक्चर की जानकारी हो जाएगी। असल में सर्दियों के मौसम में रेल फ्रेक्चर की घटनाएं काफी बढ़ जाती है। इससे ट्रेन हादसों की आशंका बनी रहती है। इसी के मद्देनजर आरडीएसओ ने ये नई तकनीक डेवलप की है।
मुरादाबाद मंडल में चल रहा है ट्रायल
आरडीएसओ के एडीजी जेएस सोंधी ने बताया कि उत्तर रेलवे के मुरादाबाद मंडल व उत्तर मध्य रेलवे के इलाहाबाद मंडल में इस तकनीक का ट्रायल किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि ट्रायल में 25-25 किलोमीटर के दूरी पर सिस्टम को लगाया गया है। ट्रायल केजल्द पूरा होने के बाद ट्रेनों में इसका इस्तेमाल शुरू किया जाएगा। इस तकनीक को बड़े स्तर पर शुरू करने के लिए कंपनियों की शार्ट लिस्टिंग की जा रही है। जो सिस्टम के विकास, सप्लाई, टेस्टिंग और कमिशनिंग और तकनीक को लगाने का काम करेंगी।