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राप्ती ने पार किया लाल निशान, बाढ़ से दो दर्जन गांव घिरे

जिले में राप्ती नदी सोमवार को लाल निशान पार कर गई। राप्ती का जल स्तर बढ़ता रहा तो मंगलवार को बाढ़ आ सकती है। नदी के तटवर्ती गांव में रहने वालों को अलर्ट किया गया है। राहत कर्मियों को क्षेत्र में रहने...

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हिन्दुस्तान टीम,बलरामपुरMon, 06 Aug 2018 07:52 PM
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जिले में राप्ती नदी सोमवार को लाल निशान पार कर गई। राप्ती का जल स्तर बढ़ता रहा तो मंगलवार को बाढ़ आ सकती है। नदी के तटवर्ती गांव में रहने वालों को अलर्ट किया गया है। राहत कर्मियों को क्षेत्र में रहने का निर्देश दिया गया है। उधर तराई क्षेत्र के पहाड़ी नाले उफनाए हैं। नालों का पानी गांव से बाहर आ गया है लेकिन प्रमुख मार्गों पर आवागमन सोमवार को भी बाधित रहा। नाला के तटवर्ती खेतों में लगी कई एकड़ फसले रेत में दफन हो गई हैं। 
राप्ती नदी सोमवार शाम साढ़े चार बजे खतरे के निशान 104. 62 मीटर से ऊपर निकलकर 104. 73 मीटर पर बह रही थी। गत वर्ष 15 अगस्त को राप्ती नदी 105.54 मीटर तक पहुंच गई थी। जो अब तक का रिकार्ड है। जिलाधिकारी कृष्णा करुणेश ने बताया कि नदी तटवर्ती गांव मे अलर्ट जारी किया गया है। एनडीआरएफ टीम को भी सतर्क कर दिया गया है। राहत कर्मियों को क्षेत्र में बने रहने का निर्देश दिया गया है। हालांकि नदी का पानी अभी बाहर फैलना शुरू नहीं हुआ है। कटान प्रभावित गांवों में नजर रखी जा रही है। बाढ़ राहत केन्द्रों को सक्रिय बनाने का निर्देश दिया गया है। नदी की बाढ़ से करीब साढ़े तीन सौ गांव प्रभावित होते हैं। 

नाले की बाढ़ से दो दर्जन गांव घिरे
ललिया संवाद सूत्र के अनुसार क्षेत्र के आधा दर्जन पहाड़ी नाले उफनाए हैंं। गौरिया, खैर, कचनी, धोबहा व हेंगहा नाले में जबरदस्त बाढ़ है। बनघुसरी, भवनियापुर, भौरही, गदरहिया, काशीपुर, मकुनहवा, इटहिया, चनयाकोट, लालपुर टेड़वा सहित दो दर्जन गांव पानी से घिरे हैं। ललिया-हरिहरगंज मार्ग स्थित जहदी डिप पर करीब तीन फिट पानी बह रहा है। कोड़री गांव के निकट झिन्ना नाला डिप पर पानी का तेज प्रवाह है। मुसहवा व कमदी डिप पर भी ढाई-ढाई फिट पानी बह रहा है। सिकटिहवा लालपुर स्थित झरिहरडीह गांव के निकट डिप पर तीन फिट पानी है। शिवपुरा रामपुर मार्ग पर दो फिट पानी बह रहा है। क्षेत्र में मंेथा की फसल को भारी नुकसान पहुंचा है। 

रेत से पट गई कई हेक्टेयर फसल 
महराजगंज तराई संवाद सू़त्र के अनुसार खरझार नाले का पानी महादेव, साहबनगर, मैटहवा, शांतिपुरवा, सुगानगर व रमवापुर डिप पर बह रहा है। आवागमन प्रभावित है। पानी की तेज धारा के चलते लोग डिप पार करने से डरते हैं। खरझार नाले का पानी गांवों से बाहर आ गया है। शांतिपुरवा गांव के निकट बाढ़ से भारी तबाही हुई है। जाहिद, जमील व नसीम ने बताया कि कई हेक्टेयर गन्ना फसल व धान की नर्सरी में रेत भर गया है। नर्सरी पूरी तरह तबाह हो गई है। वहीं गन्ने का तना छोड़कर शेष भाग रेत से पट गया है। किसानों ने बताया कि धान नर्सरी व गन्ना फसल को भारी नुकसान पहुंचा है। प्रशासन ने अभी सुधि नहीं ली है।  

जलाशय के पानी से जलमग्न हुई फसलें
गैसड़ी संवादसूत्र के अनुसार कई दिनों से रुक-रुक कर हो रही बारिश से पहाड़ी नालों मे उफान आ गया है। नाले की बाढ़ से कई गांव घिर गए हैं। चित्तौड़गढ़ जलाशय में निर्धारित सीमा से अधिक पानी हो जाने से गेट खोल दिया गया है। जिससे कई गांव में धान की फसल  जलमग्न हो गई है। मदरहवा-कल्लूडीह का सम्पर्क मार्ग कटकर भांभर नाले में समाहित हो गया है। भोजपुर-जमुवरिया सम्पर्क मर्ग पर सुस्ता के निकट बना डिप पर पानी बहने से आवागमन ठप है। बेलहसा, हरनहवा गांव जाने वाला मार्ग बंद है। नाले की बाढ़ से सुस्ता, अल्लानगर, मदरहवा, कन्हईडीह, अहिरनडीह, गोडि़यनडीह, बेनीनगर, बगनहवा व त्रिलोकपुर सहित अन्य कई गांव घिरे हैं। महफूज खां, मो. सलीम, रक्षाराम यादव, चन्दशेखर यादव, रमजान खां, जगन्नाथ, गुलाम हुसैन, सन्तोष यादव, टेक बहादुर आदि ने भांभर नाले में हो रहे कटान को रोकने के लिए पत्थर का ठोकर लगवाने की मांग की है।

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