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अल्लाह के नेक बंदों के लिए रमजान व रोजा एक नेमत

इमाम हसन की विलादत पर महफिलों की तैयारियां शुरू

अल्लाह के नेक बंदों के लिए रमजान व रोजा एक नेमत
हिन्दुस्तान टीम,लखनऊFri, 17 May 2019 08:04 PM
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इमाम हसन की विलादत पर महफिलों की तैयारियां शुरू

लखनऊ। कार्यालय संवाददाता

इस्लाम की बुनियाद पांच चीजों पर हैं, जिसमें ईमान, नमाज, जकात, रोजा और हज है। कुरान में अल्लाह ने रोजे के बारे में सूरए बकर: की आयत 183 में फरमाया कि ऐ, ईमान वालों तुम पर रोजे रखना फर्ज किया गया है, जिस तरह तुम से पहली उम्मतों पर भी फर्ज किया गया, ताकि तुम में तकवे की सिफत पैदा हो। यह बात इमाम ईदगाह मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने जुमे की नमाज के दौरान रोजेदार नमाजियों को खिताब करते हुए कही। वहीं, आसिफी मस्जिद में जुमे की नमाज के दौरान नमाजियों को खिताब करते हुए मौलाना कल्बे जवाद ने कहा कि अल्लाह के बंदों के लिए रमजान व रोजा एक नेमत है।

चौक के शाहमीना शाह की मजार स्थित मस्जिद में रोजेदार नमाजियों को खिताब करते हुए मौलाना फरंगी ने कहा कि अल्लाह ने तमाम मुसलमानों को रमजान के पूरे महीने रोजे रखने का हुक्म दिया है। जो भी बिना किसी जायज मजबूरी के रमजान का एक भी रोजा छोड़ दे तो वह बहुत गुनहगार होगा। रमजान के अलावा कोई शख्स चाहे दूसरे महीने में रोजे रखता रहे, लेकिन रमजान जैसा सवाब और बरकतें हासिल नहीं होगी। मौलाना ने कहा कि रोजा ऐसी अजीम इबादत है, जिसमें इंसान के पास रुपया-पैसा और खाने-पीने का सामान होने के बावजूद भी सहरी के वक्त से लेकर इफ्तार के वक्त तक न कुछ खा सकता है और न ही पी सकता है। यही नहीं कोई गैर शरई या गैर इस्लामी काम नहीं कर सकता है। रोजेदार को इस मुबारक महीने में अपने नफ्स और अपनी ख्वाहिशों को अपने काबू में रखने की ट्रेनिंग दी जाती है।

रोजा रूह की इबादत है

मौलाना कल्बे जवाद ने कहा कि रोजा रूह की गीजा है, उसको आराम पहुंचता है। पूरे साल इंसान का जिस्म काम करता है, रमजान एक महीने तक जिस्म को आराम देने का नाम है। माहे मुबारक इंसानों के लिए अल्लाह का सबसे नायाब तोहफा है। मौलाना ने कहा कि साइंस में साबित हो चुका है कि कैंसर जैसी बीमारी रमजान के रोजे से सही हो जाती है। इसके अलावा दिल की बीमारी, ब्लड प्रेशर और पेट की बीमारी का इलाज रोजे से बेहतर नहीं है।

इमाम हसन की विलादत की तैयारियां तेज

शियों के दूसरे इमाम हजरत हसन के जन्मदिन 15 रमजान की खुशी में शहर के अलग-अलग स्थानों पर महफिलों का आयोजन किया जाएगा। इमाम के जन्मदिन की खुशी में 21 मई को शहर के इमामबाड़ों, रौजों और मस्जिदों में महफिलें आयोजित होगी, जिसमें उलमा की तकरीर के बाद शायर अपने कलाम पेश करेंगे। इमाम के जन्मदिन की पूर्व संध्या पर 20 मई को पैगाम-ए-हुसैनी फेडरेशन ऑफ इंडिया की ओर से सआदतगंज के कश्मीरी मोहल्ला स्थित इमामबाड़ा पंजेतनी में जश्ने इमाम हसन का आयोजन किया जाएगा। वहीं 22 मई को चौक के विक्टोरिया स्ट्रीट स्थित शिया पी.जी. कॉलेज के सईदुल मिल्लत हॉल में इमामे हसन अकादमी की ओर से जश्ने इमामे हसन मनाया जाएगा।

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