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इमाम हसन की विलादत पर हुई महफिलें, रोजा इफ्तार का आयोजन

शिया मुसलमानों के दूसरे इमाम हजरत इमाम हसन के जन्मदिन की खुशी में शहर के अलग-अलग स्थानों पर महफिल-मीलाद और नज्र का आयोजन किया गया। 15 रमजान को इमाम हसन का जन्म हुआ था। इस खुशी में शहर में कई स्थानों...

इमाम हसन की विलादत पर हुई महफिलें, रोजा इफ्तार का आयोजन
हिन्दुस्तान टीम,लखनऊSun, 11 Jun 2017 07:05 PM
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शिया मुसलमानों के दूसरे इमाम हजरत इमाम हसन के जन्मदिन की खुशी में शहर के अलग-अलग स्थानों पर महफिल-मीलाद और नज्र का आयोजन किया गया। 15 रमजान को इमाम हसन का जन्म हुआ था। इस खुशी में शहर में कई स्थानों पर सामूहिक रोजा इफ्तार का भी आयोजन किया गया। चौक के गोल दरवाजा स्थित तहसीन की मस्जिद में हुई महफिल को मौलाना इब्ने अब्बास नकवी ने खिताब किया। महफिल को खिताब करते हुए मौलाना ने इमाम की सीरत पर रोशनी डालते हुए कहा कि चौदह मासूमीन में हर मासूम मोहम्मद जैसा है। जो बात पहला कहता है वही बात दूसरा, चौथा और आखिरी कहता है, चाहे जमाना भले ही क्यों न अलग हो। अकबरी गेट स्थित इमामबाड़ा जन्नतमआब में हुई महफिल को खिताब करते हुए शिया चांद कमेटी के अध्यक्ष मौलाना सैफ अब्बास नकवी ने इमाम की सीरत पर विस्तार से रोशनी डालते हुए उनकी शिक्षाओं पर अमल करने को कहा। वहीं नक्खास स्थित मस्जिद मोलसरी में आल इंडिया शिया पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रवक्ता मौलाना यासूब अब्बास ने इमाम हसन की सीरत बयान की। उन्होंने कहा कि इमामत में छोटा-बड़ा दोनों बराबर हैं। शिया कॉलेज में जश्ने इमामे हसन आज इमाम हसन के जन्म की खुशी में इमामे-हसन अकेडमी की ओर से 12 जून को चौक के विक्टोरिया स्ट्रीट स्थित शिया पी.जी. कॉलेज में जश्ने इमामे हसन मनाया जाएगा। महफिल के संयोजक प्रिंस इकबाल मिर्जा ने बताया कि रात 9 बजे महफिल का आगाज तिलावते कलामे पाक से होगा। महफिल का उद्घाटन नाजमियां अरबी कॉलेज के प्राचार्य मौलाना हमीदुल हसन करेंगे, जबकि अध्यक्षता आल इंडिया शिया पर्सनल लॉ बोर्ड के अध्यक्ष मौलाना मिर्जा मोहम्मद अशफाक करेंगे। 45 रुपए देना होगा हर व्यक्ति को फित्रा ईद के मौके पर दिए जाने वाले फित्रा का ऐलान रविवार को दारुल उलूम फरंगी महल ने कर दिया है। मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने बताया अहले सुन्नत वलजमाअत के मरकज दारूल उलूम फरंगी महल सदका ए फित्रा को लेकर एक अहम बैठक हुई। जिसमें इमाम ईदगाह मौलाना खालिद रशीद फंरगी महली ने तमाम मुसलमानों से अपील की है कि वह इस बार का सदका ए फित्रा 45 रुपए है। इसके अलावा सदका ए फित्र अदा करने में ज्यादा एहतिमाम करें। मौलाना ने कहा कि माहे रमजान में ही फित्रा निकाल दें, ताकि गरीबों की भी ईद हो सके। मौलाना ने कहा कि जो लोग किशमिश, खुजूर, और जौ से सदका ए फित्र अदा करना चाहते हैं वह साढ़े तीन किलो या उसकी कीमत अदा करें। जो लोग गेहूं से फित्रा देना चाहते है। उनको एक किलो छ: सौ बान्नवे ग्राम या उसकी कीमत पैतालीस रुपए अदा करना होगी। रमजान की फजीलत रमजान में रोजदारों को चाहिए कि वह इबादत में किसी भी तरह की कसर न छोड़े। रात के तीसरे पहर कुरान की तिलावत करने का बहुत सवाब है। माहे मुबारक में रोजदार का सोना भी सवाब में शामिल होता है। इसलिए रोजदारों को चाहिए कि वह ज्यादा से ज्यादा अल्लाह से अपने गुनाहों की माफी मांगे। इमाम अली का इरशाद है कि अगर तुम्हारा नौकर रोजे से है तो उसे कम काम लिया करो। इसलिए हमें चाहिए कि इस माहे मुबारक में गरीबों को जकात दे और अपने गुनाहों की माफी मांगे। मौलाना सैय्यद इब्ने अब्बास रमजान के महीने में हर रोजदार को चाहिए कि वह ज्यादा से ज्यादा नेक काम करें। हमें अपने गुनाहों की माफी अल्लाह से मांगना चाहिए। क्योंकि यह महीना गुनाहों से माफी मांगने का महीना है। इस महीने में अल्लाह शैतान को कैद कर देता है और अल्लाह जन्नत के दरवाजों को खोल देता है। इस महीने में की गई एक नेकी 70 नेकियों के बराबर होती है। इसलिए रोजदारों को चाहिए कि वह गलत कामों से बचें और अल्लाह के हुजूर बेहतर अमल करें। रमजान में सिर्फ भूख और प्यास का ही रोजा नहीं होता है बल्कि इसमें पूरे जिस्म का रोजा होता है। कारी शहाबउल्लाह शिया हेल्पलाइन प्रष्न: अगर कोई रोजेदार महिला रोजा रख कर किसी ना महरम व्यक्ति के साथ सफर करती है तो क्या उसका रोजा टूट जाएगा ? उत्तर : ना महरम व्यक्ति के साथ सफर करने से रोजा नही टूटेगा। प्रष्न : क्या फितरा जकात और सदके का पैसा मस्जिद की मरम्मत में दिया जा सकता है? उत्तर : फितरा जकात और सदके के पैसे को गरीब मोमिन और यतीम को देना बेहतर होगा। प्रष्न : अगर नमाज मस्जिद में जमाअत से हो रही है और उसमें इमाम से पहले मामूम ने तकबीर भेज दी तो क्या नमाज सही होगी ? उत्तर : अगर इमाम से पहले कोई काम पढ़ने वाला करता है तो नमाज सही नही होगी। प्रष्न : इस्लाम में गीबत (यानी किसी की बुराई करना) के लिए क्या हुक्म है ? उत्तर : इस्लाम में गीबत करना यानी किसी की बुराई करना बहुत बड़ा गुनाह है। इस्लाम में है कि इंसान अगर गीबत करता है वह कार्य मरे हुए भाई का गोश्त खाने जैसा है। प्रष्न : अगर एतिकाफ जो तीन दिन का होता है उसमें बीच से उठा जाए तो क्या हुक्म है ? उत्तर : अगर आप दो दिन पूरे नही किए है तो आप उठ सकते है लेकिन अगर आप दो दिन बैठ लिए तो आप पर वाजिब है कि एतिकाफ को पूरा करें। सुन्नी हेल्पलाइन सवाल : रोजे की हालत में बुखार जांचने के लिए मुंह में थर्मामीटर लगाया जा सकता है? जवाब : 1 मुंह में थर्मामीटर लगाया जा सकता है। इससे रोजा नहीं टूटेगा। सवाल : क्या रोजे की हालत में खून का अतिया दे सकते है? जवाब : जी हां रोजे में ब्लड डोनेट किया जा सकता है। सवाल : क्या जकात की रकम अपनी गरीब बेटी को दे सकते है? जवाब : नही दे सकते हैं। सवाल : किया रोजे की हालत में मां अपने छोटे बच्चे को रोटी चबाकर दे सकती है? जवाब : मजबूरी की हालत में दे सकती है। सवाल : अगर किसी शख्स का कर्ज दूसरे के ऊपर है तो क्या उस कर्ज पर भी जकात वाजिब है? जवाब : अगर कर्ज मिलने की उम्मीद हो तो उस पर भी जकात है वरना नही।

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