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इमाम हसन की विलादत पर हुई महफिलें व हेल्पलाइन

शिया हेल्पलाइन

इमाम हसन की विलादत पर हुई महफिलें  व हेल्पलाइन
हिन्दुस्तान टीम,लखनऊTue, 21 May 2019 06:23 PM
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शिया हेल्पलाइनसवाल:- माहे मुबारक रमजान की 15 तारीख की क्या अहमियत है और इस दिन के क्या आमाल हैं?जवाब:- 15 रमजान बहुत मुबारक तारीख है, इस दिन नवासए रसूल हजरत इमाम हसन का जन्मदिन है। सवाल:- अगर कोई रोजेदार को खाने के लिए मजबूर करे और कहे कि अगर नहीं खाओगे तो जान-माल का नुकसान होगा तो क्या हुक्म है?जवाब:- अगर कोई रोजेदार को खाने के लिए मजबूर करे तो उस सूरत में रोजा बातिल है, बाद में कजा करेगा। सवाल:- अगर मसला जानने की वजह से कोई ऐसा काम करे जिससे रोजा बातिल हो तो क्या हुक्म है?जवाब:- अगर मसला सीखने की सलाहियत के बावजूद नहीं सीखा तो उस पर कजा और कफ्फारा दोनों वाजिब है अगर मसला नहीं सीखा तो कफ्फारा नहीं है। सवाल:- इस्लाम में गीबत (किसी की बुराई करना) के लिए क्या हुक्म है?जवाब:- इस्लाम में गीबत यानि किसी की बुराई बहुत बड़ा गुनाह है, रवायत में है कि जो इंसान गीबत करता है यानि किसी की बुराई करता है तो उसने अपने मरे हुए भाई का गोश्त खाया।सवाल:- अगर ऐतिकाफ जो तीन दिन का होता है, उसमें से बीच से उठ जाए तो क्या हुक्म है?जवाब:- अगर दो दिन पूरे नहीं किये हैं तो उठ सकते हैं, अगर दो दिन बैठ लिए हैं तो वाजिब है कि ऐतिकाफ पूरा करें।सुन्नी की हेल्पलाइनसवाल:- तरावीह की नमाज की सोलह रकअत के बाद वित्र की नियत बांधने पर बाकी चार रकअत कब पढ़ी जाएगी?जवाब:- तरावीह की बाकी चार रकअत वित्र की नमाज के बाद पढ़ लें।सवाल:- क्या इमाम कुर्सी पर बैठ कर तरावीह की नमाज की इमामत कर सकते हैं?जवाब:- इमाम अगर माजूर है तो कुर्सी पर तरावीह पढ़ा सकता है। सवाल:- ऐतिकाफ क्या है और उसका क्या वक्त है?जवाब:- ऐतिकाफ सुन्नते मोअक्किदा है। इसका वक्त रमजान की 20 तारीख के गुरुब आफताब यानि 21वीं शब से हिलाल ईद निकलने के वक्त तक है। सवाल:- ऐतिकाफ का सवाब क्या है?जवाब:- ऐतिकाफ का बहुत सवाब है। हदीस में है कि रमजान के आखिरी दस दिनों के ऐतिकाफ का सवाब दो हज और दो उमरों के बराबर है। सवाल:- कोई शख्स किसी के पाछ कुछ रकम अमानत के तौर पर रखे और कहे कि उसमें से जकात अदा कर दो तो क्या जकात अदा हो जाएगी?जवाब:- जी हां, जकात अदा हो जाएगी। इमाम हसन की विलादत पर महफिलेंलखनऊ। कार्यालय संवाददातानवासए रसूल हजरत इमाम हसन के जन्मदिन की खुशी में मंगलवार को आयतुल्लाह सादिक हुसैनी शीराजी के कार्यालय की ओर से अकबरी गेट स्थित इमामबाड़ा तकी साहब जन्नतमआब में विधवा और जरूरतमंदों को राशन वितरित किया गया। मौलाना सैफ अब्बास नकवी ने बताया कि विधवा, जरूरतमंदों और रोजेदारों को अनाज, गोश्त और इफ्तार का सामान मुहैया कराया गया। उन्होंने कहा कि रमजान बरकतों का महीना है, इस महीने ज्यादा से ज्यादा गरीब और जरूरतमंदों की मदद करना चाहिए, ताकि अपने सवाब में इजाफा कर सकें। अल्लाह के रसूल ने फरमाया कि जिस ने किसी रोजेदार को अगर सिर्फ एक खजूर से इफ्तार कराया तो उसने एक गुलाम आजाद कराने के बराबर सवाब हासिल किया। वहीं, इमाम हसन अकादमी की ओर से चौक के विक्टोरिया स्ट्रीट स्थित शिया पी.जी. कॉलेज के सईदुल मिल्लत हॉल में बुधवार को जश्ने इमामे हसन का आयोजन किया जाएगा। रात 9 बजे महफिल का आगाज तिलावते कलामे पाक से मौलाना मिर्जा मुमताज अली करेंगे, जिसके बाद मौलाना हमीदुल हसन महफिल को खिताब करेंगे। महफिल की अध्यक्षता मौलाना मिर्जा मोहम्मद अशफाक और संचालन नैय्यर मजीदी करेंगे। महफिल को मौलाना यासूब अब्बास भी खिताब करेंगे। महफिल में कई लोगों को उनकी उत्कृष्टï सेवाओं के लिए पुरस्कृत किया जाएगा। इस मौके पर शायर अपने कलाम बारगाहे इमामत में पेश करेंगे। मैदाने हश्र में रोजा व कुरान करेगा सिफारिशलखनऊ। मैदाने हश्र में रोजा और कुरान उन बंदों की सिफारिश करेंगे, जो दिन में रोजा रखेंगे और रात को तरावीह में कुरान पढ़ेंगे या सुनेंगे। दोनों की सिफारिश कबूल कर जन्नत और मगफिरत का फैसला किया जाएगा। यह बात हाजी कारी मोहम्मद सिद्दीक ने कही। वे राजा बाजार स्थित मस्जिद सुब्हानिया में तरावीह में कुरान मुकम्मल होने पर नमाजियों को खिताब कर रहे थे। इस मौके पर नमाजियों ने कारी सिद्दीक को हार-पहना कर और मिठाई खिला कर मुबारकबाद दी। कारी मोहम्मद सिद्दीक ने रोजा और कुरान की फजीलत पर विस्तार से रोशनी डालते हुए कहा कि खुशनसीब हैं वे बंदे, जिन्होंने दिनों में रोजा रखा और रात को तरावीह में मुकम्मल कलाम पढ़ा या सुना। उन्होंने कहा कि शेरे खुदा हजरत अली से रवायत है कि रसूले अकरम ने फरमाया कि हिफ्जे कुरान के घर के दस ऐसे लोगों को जन्नत में दाखिल कराएंगे, जिन पर दोजख वाजिब हो चुकी होगी। इस मौके पर गुफरानम अहमद खान, अच्छे भाई, मोहम्मद शुएब, राहिल खान, डॉ. मतीन खान, मोहम्मद इरफान समेत अन्य लोगों ने कारी सिद्दीक को हार-माला पहना कर स्वागत किया और मुबारकबाद दी और मोहम्मद असलम ने नमाजियों को मिठाई बांटी। --

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