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रमजान

महिलाओं के प्रबंधन की परीक्षा भी है रमजान

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हिन्दुस्तान टीम,लखनऊThu, 17 May 2018 08:00 PM
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रमजान का मुबारक महीना शुरू हो चुका है...तरावीह, रोजे, सहरी, इफ्तार...इनकी तैयारी, रोजमर्रा का रूटीन पूरी तरह बदलकर रोजे रखना...पूरे महीने का नया मेन्यू तैयार करना और इस एक महीने के लिए 15 दिन या एक महीने पहले से तैयारी करना...ये सारी जिम्मेदारी होती है घर की औरतों पर। रमजान का यह महीना महिलाओं के लिए किस तरह की जिम्मेदारियां लेकर आता है, कैसे उन्हें अपना रूटीन नए सिरे से तय करना होता है, कैसे वे सहरी और इफ्तार में स्वाद के साथ परिवार की सेहत का भी ध्यान रखती हैं और घर-बाहर के बीच संतुलन बनाती हैं, उन्हीं की जुबानी इस रिपोर्ट में-

15 दिन पहले से शुरू होती है तैयारी

फरहाना मालिकी, सामाजिक कार्यकर्ता

रमजान तो एक महीने का होता है लेकिन महिलाएं इसके लगभग 15 दिन पहले से व्यस्त हो जाती हैं। तरह-तरह के अचार और चटनी जैसी चीजें पहले से बनने लगती हैं, घर की साफ-सफाई रमजान शुरू होने से पहले कर ली जाती है। बदलाव की बात करें तो सबसे बड़ा बदलाव सोने और जगने के वक्त में होता है। रात को जल्दी सोना और सुबह जल्दी उठकर सहरी की तैयारी करना सबसे बड़ी जिम्मेदारी होती है। जिन घरों में स्कूल जाने वाले बच्चे हैं, वहां तो औरतों की दोहरी परीक्षा होती है। पहले सहरी की तैयारी करती हैं, फिर बच्चों को स्कूल भेजने की। कुल मिलाकर महिलाओं का सबसे बड़ा समझौता अपने आराम के साथ होता है जिसका मौका उन्हें ईद के बाद ही मिलता है।

इफ्तार के बाद शुरू होता है काम

आफरीन बेगम, सामाजिक कार्यकर्ता

कामकाजी औरतों के लिए रमजान ज्यादा बड़ी चुनौती हो जाती है क्योंकि उन्हें अपना काम भी देखना है और वक्त पर सहरी व इफ्तार के इंतजाम भी पुख्ता करने हैं। अब चूंकि काम के साथ-साथ इबादत भी जरूरी है तो कहीं न कहीं समझौता करना पड़ता है। दफ्तरों में काम करने वाली महिलाएं इस एक महीने या तो छुट्टी लेती हैं या दफ्तर से जल्दी घर आकर सारे इंतजाम देखती हैं। जिस तरह का मेरा काम है उसमें समय की बंदिश नहीं है तो दिन अल्लाह की इबादत में गुजरता है और काम इफ्तार के बाद शुरू होता है। घर के दूसरे सदस्य भी काम आपस में बांट लेते हैं तो सहूलियत हो जाती है। हां, जहां जिम्मेदारी उठाने वाला कोई और नहीं है, उन घरों में महिलाओं को ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है लेकिन चूंकि बात इबादत की है तो एक महीने कैसे भी करके काम चल जाता है।

रसोई में होता है स्वाद संग सेहत का संगम-

सहरी और इफ्तार में स्वाद के साथ-साथ परिवार की सेहत का ध्यान रखने की जिम्मेदारी भी औरतों पर होती है। चूंकि इस बार रमजान गर्मी में पड़ा है इसलिए यह ख्याल रखना सबसे ज्यादा जरूरी हो जाता है कि 16-17 घंटे के लम्बे रोजे के दौरान शरीर में पानी की कमी न हो। इसके लिए सहरी और इफ्तार में ये चीजें होती हैं शामिल-

-सहरी के वक्त चाय के बजाए दही या लस्सी, ताकि दिन में पानी की कमी न हो।

-सहरी में फल जरूर शामिल होते हैं।

-पूरे दिन के रोजे के बाद एकाएक ढेर सारा पानी भी पीना ठीक नहीं है इसलिए इफ्तार में तरह-तरह के शरबत शामिल होते हैं।

-स्वाद के लिए पकौड़ियां, बिरयानी, पिज्जा तो सेहत व ताकत के लिए जौ-बाजरे की रोटी और सोया का साग व मौसमी फल जरूर रखे जाते हैं।

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