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UP: गिरफ्तार ISI एजेंट ने कबूला, 'पाक खुफिया एजेंसी के लिए काम करने पर मिलते थे डॉलर'

यूपी एटीएस द्वारा पिथौरागढ़ से गिरफ्तार किए गए रमेश सिंह ने पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के एजेंटों को प्रदेश स्थित विभिन्न सैन्य ठिकानों की तमाम गोपनीय सूचनाएं दी थीं। शुरुआती पूछताछ में रमेश ने...

UP: गिरफ्तार ISI एजेंट ने कबूला, 'पाक खुफिया एजेंसी के लिए काम करने पर मिलते थे डॉलर'
विशेष संवाददाता,लखनऊ। Thu, 24 May 2018 10:38 PM
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यूपी एटीएस द्वारा पिथौरागढ़ से गिरफ्तार किए गए रमेश सिंह ने पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के एजेंटों को प्रदेश स्थित विभिन्न सैन्य ठिकानों की तमाम गोपनीय सूचनाएं दी थीं। शुरुआती पूछताछ में रमेश ने जुर्म स्वीकार करते हुए राष्ट्र विरोधी कृत्यों के बारे में यूपी एटीएस से कई खुलासे किए हैं। उसके पास से बरामद उस पाकिस्तानी मोबाइल से भी काफी ब्यौरा हासिल हुआ है जो उसे आईएसआई द्वारा दिया गया था। पिछले दिनों पिथौरागढ़ में गिरफ्तार रमेश को गुरुवार को लखनऊ में यूपी एटीएस के मुख्यालय लाया गया। आगे की पूछताछ के लिए उसे रिमाण्ड पर लिया जाएगा।

यह जानकारी गुरुवार को प्रदेश के एडीजी कानून-व्यवस्था आनंद कुमार ने दी। इस अवसर पर आईजी यूपी एटीएस असीम अरुण और एसएसपी एटीएस योगेन्द्र कुमार भी मौजूद रहे। आंनद कुमार के अनुसार चूंकि रमेश सिंह से भारतीय सेना के खुफिया तंत्र से जुड़े अधिकारी और अन्य भारतीय खुफिया एजेंसियां भी पूछताछ करेंगी। रमेश को 22 मई को मिलिट्री इंटेलीजेंस की जम्मू-कश्मीर यूनिट, उत्तराखण्ड पुलिस और यूपी एटीएस की कार्रवाई में पिथौरागढ़ से गिरफ्तार किया गया। 

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पाक स्थित भारतीय उच्चायोग में घरेलू नौकर था रमेश
आनंद कुमार ने बताया कि पिछले दिनों फैजाबाद में पकड़े गए आफताब से मिली सूचनाओं को यूपी एटीएस ने विकसित किया, उसी दरम्यान यह तथ्य सामने आया कि उत्तराखण्ड में कोई एक शख्स ऐसा है जो पड़ोसी देश की खुफिया एजेंसी के लिए काम कर रहा है। इसी जांच में पिथौरागढ़ उत्तराखण्ड निवासी रमेश सिंह को गिरफ्तार किया गया। दरअसल रमेश का एक भाई भारतीय सेना में कार्यरत है, उसी की मदद से रमेश 2015 में भारतीय उच्चायोग में एक भारतीय राजनयिक के घर घरेलू नौकर के तौर नौकरी करने लगा। 

पाक खुफिया एजेंसी के लिए काम करने पर डालर मिलते थे
पाकिस्तान के इस्लामाबाद  स्थित भारतीय उच्चायोग में वह इस भारतीय राजनयिक के साथ दो साल रहा, वहीं उसके पाक खुफिया एजेंसी के सूत्रों के साथ संबंध बने। उसने वहां रहते हुए तमाम सूचनाएं लीक कीं, जिसके लिए उसे डालर में धन मिलता था। जब यह छुट्टी में भारत आता था तो डालर साथ लाता और दिल्ली में रुपये में परिवर्तित कर इस धन को वह अपने गांव ले जाता था। सितंबर वर्ष 2017 में रमेश वापस भारत आया।

आनंद कुमार ने बताया कि रमेश सिंह के ऊपर बैंक व अन्य स्थानीय लोगों का लाखों रुपये का कर्ज था। रमेश ने कुबूल किया कि उसने भारत से जुड़ी खुफिया जानकारी आईएसआई को देने के एवज में पैसे भी मिले जिससे उसने नौ लाख रुपये का सारा कर्ज भी चुकाया।

रमेश ने बताया कि पाक स्थित भारतीय उच्चायोग के जिस अधिकारी के यहां वह काम कर रहा था, वह लोग जब घर से बाहर जाते थे उसी दरम्यान वह आईएसआई के एजेंटों को डायरी, लैपटाप, फाइलें व अन्य दस्तावेज आदि देता था। कई बार आईएसआई के यह एजेंट उससे मिले दस्तावजे दो-चार घंटे के लिए बाहर ले जाते थे और फिर वापस भी कर देते थे। एक बार में उसे 1300 डालर मिलने की जानकारी तो उसने खुद कुबूली है। 

 

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बरामद मोबाइल है महत्वपूर्ण
आईएसआई ने रमेश को क्यू-मोबाइल ब्रांड का एक मोबाइल दिया था। शक है कि इसमें स्पाईवेयर यानी जासूसी करने वाला यंत्र भो होता है। उसके कब्जे से मिले मोबाइल को फारेंसिक परीक्षण के लिए भेजा जाएगा। मोबाइल में दर्ज संपर्कों से रमेश द्वारा की गई जासूसी के बाबत तमाम और ब्योरा मिलने की उम्मीद है। मोबाइल के अलावा उसके पास से एक और मोबाइल तथा तीन सिम मिले हैं जिसमें से एक पाकिस्तानी सिम भी है। एक प्रश्न के उत्तर में एडीजी ने स्पष्ट किया कि इस मामले में भारतीय उच्चायोग के किसी अधिकारी के शामिल होने के बाबत फिलहाल कोई ठोस तथ्य सामने नहीं आए हैं। 
 

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