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अयोध्या काण्ड त्याग की कथा है

लखनऊ। निज संवादातासनातन धर्म जन जागरण समिति की ओर से शिवनगर खदरा में चल रही श्रीराम कथा के दूसरे दिन कथा व्यास रमेश भाई शुक्ल ने श्री राम चरित मानस के अयोध्या कांड की महिमा का बखान करते हुये कहा कि...

अयोध्या काण्ड त्याग की कथा है
हिन्दुस्तान टीम,लखनऊMon, 06 Nov 2017 07:41 PM
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लखनऊ। निज संवादातासनातन धर्म जन जागरण समिति की ओर से शिवनगर खदरा में चल रही श्रीराम कथा के दूसरे दिन कथा व्यास रमेश भाई शुक्ल ने श्री राम चरित मानस के अयोध्या कांड की महिमा का बखान करते हुये कहा कि अयोध्या काण्ड त्याग की कथा है।उन्होंने कहा कि भगवान ने यह लीला रची और देवों ने मां शारदा को अयोध्या में मां कैकेई को दो वरदान राजा दशरथ से मांगने के लिए राजी किया। जिसके पीछे राम को वन भेज कर असुरों के विनाश करने के लिए राम को बन भेजा। राम वन गए तो अयोध्या कांड को जवानी का कांड बताया कहा कि इस कांड मे त्याग की कथा है भईया भारत का त्याग माता कैकेई का त्याग राजा दशरथ का त्याग है।उधर, बुद्धेश्वर के पास चल रही श्रीराम कथा के पांचवें दिन सोमवार को आचार्य जितेन्द्री जी महाराज ने कहा कि जगत के कल्याण के लिये परमात्मा ने वन का गमन स्वीकार किया। उन्होंने कहा कि कैकेई पर कोई दोष लागाना उचित नही क्योंकि भगवान को वन जाने में पांच संतो का हाथ था। संत सदैव जगत का कल्याण चाहते है इसी उदेश्य से उन्होंने यह लीला की। उन्होंने बताया कि श्रीराम को वन जाने कार्य वशिष्ठ जी, विश्वामित्र जी, वाल्मीकि जी अगस्त जी और भारद्वाज जी ने भगवान की प्रेरणा से की। उन्होंने इस कार्य को करने के लिये स्वयं परमात्मा संतो से यह लीला करायी। कथा के दौरान पूज्य आचार्य श्री ने कई भजन सुनाकर लोगों को भावविभोर कर दिया। संगत पर मुकेश द्विवेदी, अनूप पाण्डेय, दिवाकर और सुधीर ने साथ दिया।

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