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ऐशबाग-सीतापुर रूट पर ट्रेनें घंटों लेट, परेशान हो रहे यात्री

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ऐशबाग-सीतापुर रूट पर ट्रेनें घंटों लेट, परेशान हो रहे यात्री
हिन्दुस्तान टीम,लखनऊFri, 18 Jan 2019 08:01 PM
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ऐशबाग-सीतापुर रेलखंड पर यात्रियों को लेटलतीफी की मार झेलनी पड़ रही है। ट्रेनें अपने निर्धारित समय से घंटों लेट होकर पहुंच रही हैं। इससे सीतापुर से लखनऊ आने और लखनऊ से सीतापुर जाने वाले दैनिक यात्रियों की परेशानियां बढ़ गई हैं। यात्री अपने समय पर गंतव्य तक नहीं पहुंच पा रहे हैं। वहीं, शाम को सीतापुर जाने में भी यात्रियों को मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है।

ढाई साल बाद ऐशबाग-सीतापुर रेलखंड शुरू होने के बाद यात्रियों को लगा अब उनकी मुसीबत खत्म हो जाएगी। पटरी के मीटर गेट से ब्रॉडगेज में परिवर्तन के बाद यात्रियों को आशा थी कि अब उन्हें बसों की अपेक्षा कम समय और कम किराया खर्च करना पड़ेगा। लेकिन, यात्रियों की यह खुशी चंद दिनों में ही छिन गई। आम रूट के मुकाबले 88 किलोमीटर का यह सफर यात्रियों के लिए मुसीबत भरा हो गया है।

शुक्रवार को सीतापुर से तड़के लखनऊ जंक्शन आने वाली ट्रेन 55061 पैसेंजर गाड़ी दो घंटे देरी से सीतापुर से रवाना होकर दो घंटे देरी से जंक्शन पहुंची। लखनऊ जंक्शन से यह ट्रेन सुबह 10 बजे रवाना होनी थी, लेकिन ट्रेन दोपहर 12 बजे के बाद रवाना हुई। सीतापुर पहुंचते पहुंचते ट्रेन 2 घंटे से ज्यादा लेट हो गई।

वापसी में मुसीबत का सफर

लखनऊ जंक्शन से शाम को वापसी में जाने के लिए दैनिक यात्रियों की मुश्किलें बढ़ गईं। शाम 6.40 बजे सीतापुर के लिए रवाना होने वाली ट्रेन 55066 पैसेंजर निर्धारित समय पर रवाना नहीं हो पाई। दरअसल, सीतापुर से आने वाली 55065 पैसेंजर ट्रेन को आने के बाद रवाना होना था। यह ट्रेन सीतापुर से 50 मिनट देरी से छूटी। इसके बाद यह ट्रेन रास्ते में और अधिक विलंब होकर करीब पौने दो घंटे की देरी से जंक्शन पहुंची। यही हाल डालीगंज स्टेशन पर भी रहा। सीतापुर से दोपहर में आने वाली ट्रेन 55063 पैसेंजर पहले तो डेढ़ घंटे देरी से छूटी, ऊपर से अटरिया स्टेशन पर आकर खड़ी हो गई। ट्रेन शाम चार बजे की जगह 2.38 घंटे की देरी से डालीगंज स्टेशन पहुंची।

बसों से सफर करने को मजबूर

शुक्रवार तमाम यात्री स्टेशनों पर बसों के इंतजार में खड़े रहे। लेकिन, ट्रेनों की बढ़ती लेटलतीफी के चलते यात्रियों ने स्टेशनों के बाहर निकलकर वैकल्पिक साधनों से ज्यादा किराया देकर सफर किया। यात्रियों की मानें तो मजबूरन उन्हें ज्यादा किराया लगाकर सफर करना पड़ रहा है। रेलवे ने ट्रेन तो चला दी, लेकिन समय पर संचालन करना भूल गया है। ट्रेन से सफर के चलते यात्री समय पर काम पर पहुंच पा रहे हैं न घर जा पा रहे हैं।

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