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शुगर मिलों की बिजली दरों में कमी के प्रस्ताव पर घमासान, पढ़ें पूरा मामला

शुगर मिलों से पैदा होने वाली बिजली की दरें तय करने के लिए कवायद चल रही है। उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग ने इसके लिए जनसुनवाई की। आयोग बिजली दरों को 2.25 रुपये प्रति यूनिट तक कम करने का प्रस्ताव...

शुगर मिलों की बिजली दरों में कमी के प्रस्ताव पर घमासान, पढ़ें पूरा मामला
प्रमुख संवाददाता,लखनऊ। Thu, 09 May 2019 11:44 AM
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शुगर मिलों से पैदा होने वाली बिजली की दरें तय करने के लिए कवायद चल रही है। उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग ने इसके लिए जनसुनवाई की। आयोग बिजली दरों को 2.25 रुपये प्रति यूनिट तक कम करने का प्रस्ताव रखा है। चीनी मिलों ने इसका विरोध किया तो वहीं उपभोक्ता परिषद दरें कम करने का समर्थन किया। यूपी पॉवर कारपोरेशन भी दरों को कम करना चाहता है। नई दरें पांच वर्षों के लिए तय की जानी है। 

विद्युत नियामक आयोग ने अगले पांच वर्षों के लिये बगास, बायोमास, इस्माल हाइड्रो, सोलर, विन्ड इत्यादि से बनने वाली बिजली की दरों को तय करने वाले सीआरई रेग्यूलेशन 2019-2024 की प्रस्तावित कार्य योजना पर बुधवार को सार्वजनिक सुनवाई की। 2014 में तय हुई दरों की अपेक्षा इस बार टैरिफ कम करने का प्रस्ताव आने से घमासान मचा हुआ है। 

जनसुनवाई में पावर कारपोरशन, नेडा के प्रतिनिधियों सहित पूरे प्रदेश के शुगर मिल मालिकों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। शुगर मिल एसोसिएशन की ओर से वकीलों की टीम ने आयोग के प्रस्तावित दरों को बहुत कम बताते हुये उसमें बढ़ोतरी की मांग उठायी। वहीं बिजली उपभोक्ताओं की तरफ से सुनवाई में शामिल उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने आयोग की प्रस्तावित दरों पर सहमति जताई। 

उन्होंने कहा कि आयोग ने बगास की प्रस्तावित दरों में लगभग 52 प्रतिशत की कमी प्रस्तावित की है जिसका लाभ आम लोगों को मिलेगा। उनका कहना था कि वर्तमान में आरपीओ आब्लीगेशन का कोई सवाल ही नहीं उठता क्योंकि पावर कारपोरेशन के पास मार्केट में सस्ती बिजली उपलब्ध है और उसी के चलते पिछले दिनों पावर कारपोरेशन ने तीन रुपये प्रति यूनिट से भी कम दरों पर विन्ड पावर से लगभग 1500 मेगावाट करार किया गया है। हालांकि यूपी चीनी मिल एसोसिएशन इसका विरोध कर रहा है। 

बगास की तय की जा रही दरें अव्यावहारिक
चीनी मिलों का कहना है कि बगास की जो दरें आयोग तय कर रहा है वह अव्यवहारिक हैं। मार्केट में इससे दो से ढ़ाई गुना महंगा है। इसलिए आयोग के प्रस्तावित दरों पर बिजली उत्पादन और बेचना घाटे का सौदा होगा। मिलों को बंद करना पड़ जाएगा। इसका सीधा असर किसानों पर पड़ेगा। मिलों ने आयोग से कहा कि दरों को तर्कसंगत रखा जाए। आयोग ने सभी पक्षों को सुनने के बाद फैसला बाद में सुनाने की बात कही है। माना जा रहा है कि आयोग आंशिक संशोधन के साथ पिछले बार की अपेक्षा 40 फीसदी तक दरों को कम कर सकता है।  

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