सलाहकार कंपनी ने दिया नोटिस का जवाब, परीक्षण शुरू
Lucknow News - पावर कॉरपोरेशन के नियमों के अनुसार, टेंडर में गलत अभिलेख देने पर फर्म को 2 से 5 साल तक काली सूची में डाला जा सकता है। सलाहकार कंपनी ग्रांट थॉर्नटन पर आरोप है कि उसने पिछले तीन साल में कोई कार्रवाई न...

- पावर कॉरपोरेशन के नियमों के मुताबिक टेंडर में गलत अभिलेख देने पर 2 से 5 साल तक फर्म को डाला जाएगा काली सूची में लखनऊ, विशेष संवाददाता
निजीकरण के लिए सलाहकार बनाई गई कंपनी ने नोटिस का जवाब पावर कॉरपोरेशन को दे दिया है। अब उसके जवाब का परीक्षण चल रहा है। सभी तथ्यों की पड़ताल के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी। जानकारों की मानें तो पावर कॉरपोरेशन के नियमों में टेंडर में गलत दस्तावेज लगाने पर फर्म को दो से पांच साल तक काली सूची में डाला जा सकता है।
सलाहकार बनाई गई कंपनी ग्रांट थॉर्नटन पर आरोप हैं कि उसने टेंडर के लिए जमा किए गए दस्तावेजों में बीते तीन साल में कोई कार्रवाई न होने की बात कही है, जबिक अमेरिका में उस पर बीते साल फरवरी में ही 40 हजार डॉलर का जुर्माना लगाया गया था। टेंडर के लिए जमा किए गए दस्तावेजों में जुर्माने की बात छुपाने का मामला खुलने के बाद टेंडर मूल्यांकन समिति के अध्यक्ष और पावर कॉरपोरेशन के निदेशक (वित्त) निधि कुमार नारंग ने कंपनी को नोटिस जारी कर के उसका जवाब मांगा था। जवाब के लिए 24 घंटे की मियाद दी थी। कंपनी ने तय अवधि बीत जाने के बाद पावर कॉरपोरेशन को जवाब दे दिया है।
सूत्रों के मुताबिक सलाहकार कंपनी ने जवाब में बताया है कि वर्तमान में उसके ऊपर कोई पेनाल्टी नहीं है। हालांकि, सवाल तो यही है कि उसने टेंडर के लिए जमा किए दस्तावेज में बीते तीन साल में उसके ऊपर कोई कार्रवाई न होने का दावा किया था।
'पावर कॉरपोरेशन को करनी ही होगी कंपनी पर कार्रवाई'
राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि अब पावर कॉरपोरेशन के पास कंपनी पर कार्रवाई करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। कंपनी ने टेंडर के लिए जमा किए गए दस्तावेज में तीन साल में किसी भी तरह की कार्रवाई न होने का दावा किया था जबकि जवाब में तीन साल के बजाय वर्तमान में जुर्माना न होने की बात कही है। दोनों बातें अपने में अलग हैं। पावर कॉरपोरेशन ने 3 सितंबर 2022 को टेंडर में गलत दस्तावेज लगाने पर फर्म को ब्लैक लिस्ट करने का नियम बनाया था। तब कहा गया था कि झूठा अभिलेख जमा करने वाली फर्म को न्यूनतम दो साल और अधिकतम पांच साल के लिए ब्लैक लिस्ट किया जाएगा। ब्लैक लिस्टिंग की मियाद तय करने का अधिकार पावर कॉरपोरेशन के अध्यक्ष के पास होगा। अवधेश ने कहा कि मुख्य सचिव दो दिन पहले जो बिना डरे और बिना रुके निजीकरण की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने की बात कह रहे थे, वह इसी संदर्भ में था। तो क्या मुख्य सचिव यह कहना चाहते थे कि फर्में मनमाने तौर पर झूठ बोलें, लेकिन उनपर कार्रवाई नहीं करनी है?
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