ट्रेंडिंग न्यूज़

Hindi News उत्तर प्रदेश लखनऊछोटे दलों संग समर में उतरे सियासी सूरमा

छोटे दलों संग समर में उतरे सियासी सूरमा

यूपी में लोकसभा चुनाव के दौरान तमाम ऐसे दल राष्ट्रीय पार्टियों के बगलगीर खड़े हैं जिनकी कोई खास पहचान दो-एक जिलों से ज्यादा नहीं रही है। कुछ तो ऐसे हैं जो सियासी हलके में खुद को साबित करने के लिए अरसे...

छोटे दलों संग समर में उतरे सियासी सूरमा
मधुरेन्द्र श्रीवास्तव,लखनऊ | Wed, 10 Apr 2019 12:55 PM
ऐप पर पढ़ें

यूपी में लोकसभा चुनाव के दौरान तमाम ऐसे दल राष्ट्रीय पार्टियों के बगलगीर खड़े हैं जिनकी कोई खास पहचान दो-एक जिलों से ज्यादा नहीं रही है। कुछ तो ऐसे हैं जो सियासी हलके में खुद को साबित करने के लिए अरसे से जूझ रहे हैं। 17वीं लोकसभा के चुनाव ने इनकी यकायक खैर-खबर बढ़ा दी है।
बड़े और स्थापित दलों द्वारा अपना कुनबा बढ़ाने की कवायद को सियासी हलकों में इन राजनीतिक पार्टियों की मजबूरी के तौर पर भी देखा जा रहा है। माना जा रहा है कि मतदाताओं के बीच बढ़ी जागरूकता, सोशल मीडिया के बढ़ते प्रभाव और अपने-अपने इलाके में अरसे से पहचान के लिए सक्रिय इन  दलों के नेताओं के नाते मामूली वोटों से होने वाली हार-जीत के अंतर ने जमे-जमाये दलों के बीच ऐसे लोगों की अहमियत बढ़ाई है। मत हासिल करने की दौड़ में तीन-चार अंकों तक सिमटे रहने वाले इन दलों को गले लगाने की यही वजह बड़ी मजबूरी बन कर उभरती दिख रही है।
कांग्रेस भी छोटे दलों को साथ लेने में नहीं रही पीछे
इसे वक्त की जरूरत ही कहेंगे कि बसपा-सपा और रालोद के महागठबंधन में जगह नहीं बना पाने वाली कांग्रेस ने भी यूपी में छोटे दलों का साथ लेने से गुरेज नहीं किया। अपना दल की कृष्णा पटेल के गुट के अलावा पश्चिमी यूपी में कुछ जगहों पर पहचान रखने वाले केशव देव मौर्य के महान दल के साथ कांग्रेस चुनावी रण में उतरी है। 
     हाल ही में फूलन देवी के धर्मपुत्र पप्पू भइया निषाद ने लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी और उसके सहयोगी दलों को बिना शर्त समर्थन देने की घोषणा की है।  यही नहीं डेमोक्रेटिक पार्टी (एस) के राष्ट्रीय अध्यक्ष शमशाद खान भी कांग्रेस को समर्थन देने के लिए सामने आये हैं। वहीं, अपने सियासी वजूद के लिए जूझ रहे शिवपाल सिंह यादव ने नवगठित प्रगतिशील समाजवादी पार्टी लोहिया का पीस पार्टी के साथ सीटों का तालमेल किया है। शिवपाल की प्रसपा का दावा है कि उन लोगों को 50 के करीब छोटे-बड़े दलों का समर्थन भी हासिल है।
ये दल आए साथ
यूपी में अब तक भाजपा अपने पाले में एकलव्य पार्टी, एक्शन पार्टी, भारत निषाद पार्टी, नवभारत समाज पार्टी आदि को ला चुकी है। पूर्वांचल के कुछ जिलों में असर रखने वाली निषाद पार्टी को तो बाकायदा सीटें भी दी जा रही हैं, जबकि निषाद पार्टी के संस्थापक संजय निषाद के पुत्र और गोरखपुर सीट पर लोकसभा का उपचुनाव जीतने वाले प्रवीण निषाद भाजपा में शामिल हो चुके हैं। वहीं, अपना दल सोनेलाल गुट से भाजपा का साथ पिछले लोकसभा चुनाव से ही बना हुआ है। सन 2017 के विधानसभा चुनाव के दौरान साथ आई सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी भी भाजपा के साथ है। 

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें