लखनऊ। निज संवाददाता बारिश के साथ ही वातावरण में कई प्रकार की संक्रामक बीमारी वायरल, बुखार, जुकाम आदि फैलता है। इसके अलावा इस मौसम में अनियमित खानपान से डायरिया, पीलिया, हेपेटाइटिस, पेट दर्द आदि की समस्या होती है। ऐसे में कालमेघ, गुडूची आदि पौधों की पत्ती, तना आदि का प्रयोग करने से इन बीमारियों से बचाव होता है। यह जानकारी आयुर्वेद डॉ. अनुराग मिश्र ने शनिवार को दी। गुडूची से डेंगू पर काबू टूड़ियागंज स्थित राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज के बालरोग डॉ. पंकज कुमार सिंह ने बताया औषधीय पौधों को घर में लगाना चाहिए। ज्यादातर औषधीय पौधे छोटे होते हैं, जिन्हें गमले में लगाकर उसका प्रयोग करते हैं। औषधीय पौधों में अनेक बीमारियों से लड़ने की ताकत होती है। गुडूची बारिश में तने के रूप में तेजी से फैलने वाला पौधा है। इसके गिलोय, गुरुच, इंडियन क्विनीन आदि नाम हैं। इससे शरीर में प्रतिरोधक क्षमता, डेंगू, बुखार, प्लेटलेट्स बढ़ाने में काफी काम आता है। गिलोय काढ़ा को हल्दी, आंवला में मिलकर लेने से पित्ती आना, यूरिक एसिड आदि में लाभ मिलता है। कालमेघ से डायबिटीज, खांसी में लाभ श्रीराम चंद्र वैद्य आयुर्वेदिक कॉलेज एवं चिकित्सालय के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. अनुराग मिश्र व डॉ. विराट विष्णु ने बताया कि कालमेघ पौधे के कल्पनाथ, महतीत, हरा चिरायता, किरीट, भुईनिम्बा, यवतिक्ता आदि नामों से जाना जाता है। इसकी पत्तियां, तना, फूल एवं पंचांग का प्रयोग किया जाता है। यह विशेष रूप से टाइफाइड, वायरल, डायबिटीज, खांसी, बीपी, दमा, बवासीर, रक्त शोधक, त्वचा और कृमि की बीमारी, पीलिया, पेट में कीड़े मारने आदि के काम आता है।
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