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पीजीआई में बिना इलाज के मरीज लौटे, दर्जन भर आपरेशन टले

-नये मरीजों की भर्ती भी रोकी

पीजीआई में बिना इलाज के मरीज लौटे, दर्जन भर आपरेशन टले
हिन्दुस्तान टीम,लखनऊFri, 04 Jan 2019 08:06 PM
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-12 घंटे ठप रही मरीजों की भर्ती-मरीजों को तड़पाने के बाद माने कर्मचारी, 25 तक टाली हड़ताललखऊ। निज संवाददाताकिसी की सांस फूल रही तो किसी को सीने में तेज दर्द। पेट में पानी भरने और ब्रेन स्ट्रोक के मरीज पीजीआई इमरजेंसी के बाहर तड़प रहे थे। रोते-बिलखते परिवारीजन अपनों को बचाने के लिए कर्मचारियों से फरियाद कर रहे थे। पूरी इमरजेंसी में चीख-पुकार मची थी। पर, सुनवाई करने वाला कोई नहीं था। नतीजतन दर्द से छटपटाते मरीज बिना इलाज इमरजेंसी से लौट गए। शुक्रवार को दर्दनाक दृश्य था पीजीआई इमरजेंसी का। एम्स के बराबर भत्ते की मांग को लेकर पीजीआई कर्मचारियों ने हड़ताल कर बेकसूर मरीजों की जान जोखिम में डाल दी। शाम करीब चार बजे कर्मचारियों ने पीजीआई प्रशासन के लिखित आश्वासन पर 25 जनवरी तक हड़ताल टाल दी है। बिना जांच व इलाज लौटे 500 मरीजपीजीआई में कर्मचारियों की दिन भर चली हड़ताल के चलते ओपीडी और भर्ती मरीजों की सांसे फूल गईं। सैकड़ों मरीज बिना इलाज के लौट गये। सीवीटीएस, पेट व न्यूरो सर्जरी समेत कई विभागों की 15 मरीजों के ऑपरेशन टल गये। ओपीडी में डॉक्टरों ने हड़ताल के चलते नये मरीजों को भर्ती करने से मनाकर दिया। तकरीबन 150 से ज्यादा मरीज इण्डोस्कोपी, एंजियोग्राफी, एक्स-रे आदि जांचें नहीं हो पाई। 150 से ज्यादा खून आदि की जांचें नहीं हो सकी। मरीजों के खून का नमूना लेने वाले नहीं थे।सुबह आठ बजे से मची अफरा-तफरीहड़ताल के चलते सुबह आठ बजे से अफरा-तफरी मची रही। नाराज कर्मचारियों ने शाम पांच बजे तक पीजीआई में कामकाज ठप रखा। र्मचारियों की हड़ताल से पीजीआई प्रशासन ने शुक्रवार सुबह से ही आउट सोर्सिंग कर्मचारियों को ओपीडी व भर्ती मरीजों के वार्ड में तैनात कर दिया।छावनी बना रहा परिसरअनहोनी से निपटने के लिए पीजीआई प्रशासन ने परिसर में पुलिस व पीएसी बल तैनात कर दिया था। परिसर छावनी में तब्दील हो गया। शासन व प्रशासन के अफसर संस्थान में पहुंच गये थे। इसके बावजूद मरीजों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। कर्मचारियों की हड़ताल में संस्थान के डॉक्टर बेशक खुलकर सामने नहीं आये लेकिन उनका समर्थन रहा। यही वजह थी कि ओपीडी में कई विभागों के डॉक्टर देर से पहुंचे। कुछ पहुंचे भी तो कई बार बीच में आये गये। जिससे मरीजों को काफी दिक्कतें हुईं।रेजीडेंट ने संभाला मोर्चा रेजीडेंट डॉक्टर शाम तक डटे रहे। सीवीटीएस, पेट, नेफ्रोलॉजी, न्यूरोलॉजी समेत कई विभागों के सैकड़ों मरीज बिना इलाज लौट गये। सुबह से खाली पेट बैठे दर्जनों मरीज दोपहर तक इंतजार के बाद बिना जांच के लौट गये। करीब ढाई हजार कर्मचारियों की हड़ताल के चलते संस्थान में पूरे दिन आउट सोर्सिंग कर्मचारियों ने मोर्चा संभाले रखा है।ओपीडी में शुक्रवार को नये 259 मरीजों समेत पुराने मिलाकर करीब तीन हजार मरीज पहुंचे। सुबह रजिस्ट्रेशन के लिए मरीजों और तीमारदारों की लम्बी लाइनें थी। ओपीडी नये नियमित कर्मचारियों के न होने से मरीजों को जानकारी के लिए काफी भटकना पड़ा। सारा काम आउट सोर्सिंग कर्मचारी देख रहे थे। ब्लड सैंपल कलेक्शन सेंटर में नियमित कर्मचारियों के न होने से मरीजों को बड़ी मशक्कत करनी पड़ी।2500 कर्मचारी हड़ताल में शामिलपीजीआई के 2600 कर्मचारियों में से करीब 2500 कर्मचारियों ने पूरे दिन कार्य बहिष्कार किया। इमरजेंसी, आईसीयू और सीसीएम में तैनात करीब 100 कर्मचारियों ने काम किया। अन्य सभी कर्मचारी सुबह हस्ताक्षर करने के बाद हड़ताल पर रहे। ये सभी कर्मचारी संस्थान परिसर में स्थित प्लाजा में सरकार और पीजीआई प्रशासन के खिलाफ विरोध दर्ज कराया। इन कर्मचारियों के साथ संस्थान के आफीसर्स फोरम के अधिकारी भी शामिल रहे। वर्जनहड़ताल से मरीजों को दिक्कतें जरूर हुई है। मरीजों को दुश्वारियों से बचाने के पर्याप्त इंतजाम किए गए थे। इमरजेंसी सेवा पूर्व की तरह चलती रहीं। ओपीडी सामान्य रही। सर्दियों की छुट्टी के चलते 50 फीसदी डॉक्टर छुट्टी पर हैं। शाम तक सभी ओपीडी मरीजों को इलाज उपलब्ध कराया गया।डॉ. राकेश कपूर, निदेशक, पीजीआई

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