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मोटा बच्चा भी होता है कुपोषित, बढ़ रहा डायबिटीज

- 39 वां स्टेट कांफ्रेंस ऑफ इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स (यूपी पेडिकॉन) का हुआ...

मोटा बच्चा भी होता है कुपोषित, बढ़ रहा डायबिटीज
हिन्दुस्तान टीम,लखनऊSun, 18 Nov 2018 08:47 PM
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- 39 वां स्टेट कांफ्रेंस ऑफ इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स (यूपी पेडिकॉन) का हुआ समापन - बच्चों को लगने वाली वैक्सीन व पेट से संबंधित बीमारियों, बच्चों में होने वाले कैंसर पर हुई चर्चा लखनऊ। निज संवाददाता हमारे समाज में ऐसा माना जाता है कि दुबला-पतला बच्चा कुपोषित है। सिर्फ ऐसा समझना गलत है। कुपोषित बच्चे को दुबला-पतला होने से नहीं बल्कि उसकी एक्टिविटी व अन्य जांच के आधार पर उसे कमजोर समझा जाता है। अब मोटापा भी कुपोषण में ही माना जाता है। आमतौर पर देखा जा रहा है कि माता-पिता व जन्म के कुछ समय बाद से ही बच्चा फॉस्ट फूड खाता है। उसका वजन लगातार बढ़ता जाता है। ऐसे में परिवारीजन यह समझते हैं कि उनका बेटा स्वस्थ और हष्ट-पुष्ट है। यह जानकारी बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. आशुतोष वर्मा ने रविवार को दी। बढ़ रही है बच्चों में डायबिटीज उप्र. पेडिकॉन की ओर से 39 वां स्टेट कांफ्रेंस ऑफ इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स के अंतिम दिन रविवार को बच्चों को लगने वाली वैक्सीन्स, बच्चों की पेट से संबंधित बीमारियों, उनमें होने वाले कैंसर पर बाल रोग विशेषज्ञों ने जानकारी साझा की। यहां पर डॉ. आशुतोष वर्मा ने बताया कि बच्चों में मोटापा होने से बीएमआई बढ़ने लगता है। इससे शरीर में इंसुलिन अच्छे तरीके से नहीं बन पाता है। फॉस्ट फूड में शुगर होता है। इंसुलिन सही से काम नहीं करता है। डायबिटीज के लक्षण बढ़ने लगते हैं। इसे मेटाबॉलिक सिंड्रोम कहते हैं। शहरों में पांच फीसदी बच्चे मेटाबॉलिक सिंड्रोम से पीड़ित हैं। बच्चों के साथ करें भोजन डॉ. आशुतोष ने बताया कि माता-पिता व अभिभावकों को चाहिए कि वह बच्चों के साथ ही पौष्टिक भोजन करें। ज्यादातर दाल, चावल, रोटी, सब्जी, सलाद और फल का सेवन करना चाहिए। ऐसा करने से बच्चों को लगता है कि जो बड़े खा रहे हैं, वह सही है। वहीं, स्कूलों में लंच की जगह फ्रूट टाइम रखा जाना चाहिए। सलाद व फलों को बढ़ावा देना चाहिए। चिकित्सा शिक्षा के पूर्व डीजी डॉ. वीएन त्रिपाठी ने बच्चों को स्वस्थ रखने के लिए अभिभावकों को गोविंद (govind) फॉर्मूला (जी-ग्रोथ, ओ-ओआरएस, बी-ब्रेस्ट फीडिंग, आई-इम्यूनाइजेशन, एन-न्यूट्रीशियन, डी-दवा) के बारे में बताया। जापानी बुखार से होगा बचाव गोरखपुर से आईं डॉ. महिमा मित्तल और डॉ. अनूप बाजपेयी ने बाल रोग विशेषज्ञों को जापानी बुखार के लक्षण, उनके इलाज, जापानी बुखार में आयी नई वैक्सीन आदि के विषय में बताया है। पेशाब में हो रहे संक्रमण रोगों पर इलहाबाद से आए डॉ. अनुभव श्रीवास्तव ने जानकारी दी। बच्चों में होने वाली टीबी पर दिल्ली के डॉ. एसके कावड़ा ने जानकारी दी। डॉ. दिनेश पांडेय ने बच्चों के इलाज में आ रही नई वैक्सीन्स के बारे में बताया। मुंबई से डॉ. शफी, डॉ. विपिन वशिष्ठ समेत अन्य लोग रहे। बच्चों में बढ़ रही दिल की बीमारी यूपीपेडिकॉन कार्डियोलॉजी सेक्शन की वर्कशॉप डिवाइन हॉर्ट एंड मल्टीस्पेशियलिटी सेंटर के कांफ्रेंस हॉल में हुई। पीजीआई के कॉर्डियोलॉजी के पूर्व प्रमुख प्रो. एके श्रीवास्तवने बताया कि प्रदेश में कहीं भी जन्मजात बच्चों का बेहतर इलाज नहीं हो पा रहा है। उन्होंने बताया कि एक हजार में 8-16 बच्चों में दिल की बीमारी पाई जाती है। सांस फूलना, माथे पर पसीना, रोने पर नीला होना तथा उम्र के अनुसार वजन न बढ़ना आदि दिल की बीमारी के लक्षण हैं। डॉ. याचा को अवार्ड मिला पीजीआई के पीडियाट्रिक गेस्ट्रो के प्रमुख डॉ. एसके याचा को यूपीआईएपी की ओर से लाइफ टाइम एचीवमेंट अवॉर्ड से नवाजा गया। यूपीपेडिकॉन में डॉ. एसके याचा व डॉ. अंशुल अग्रवाल ने भी अपने विचार रखे।

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