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खदानों का आवंटन नहीं हुआ तो खनन इंस्पेक्टर जिम्मेदार

अगर खदानों का आवंटन नहीं हुआ तो खनन अधिकारी-खान निरीक्षक जिम्मेदार होंगे। हर जिले में जो भी खाली पड़े खनन क्षेत्र हैं, उनकी ई-नीलामी की प्रक्रिया शुरू कराई जाए और बालू-मौरंग और बोल्डर की खदानों के...

खदानों का आवंटन नहीं हुआ तो खनन इंस्पेक्टर जिम्मेदार
हिन्दुस्तान टीम,लखनऊThu, 13 Sep 2018 07:32 PM
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अगर खदानों का आवंटन नहीं हुआ तो खनन अधिकारी-खान निरीक्षक जिम्मेदार होंगे। हर जिले में जो भी खाली पड़े खनन क्षेत्र हैं, उनकी ई-नीलामी की प्रक्रिया शुरू कराई जाए और बालू-मौरंग और बोल्डर की खदानों के पट्टे जारी किए जाएं। यह निर्देश खनन निदेशक ने विभागीय अधिकारियों को दिए हैं।

निदेशक डॉ. रोशन जैकब ने कहा है कि निदेशालय स्तर पर समीक्षा के दौरान कई तरह की समस्याएं-शिकायतें सामने आईं। मुख्य रूप से यह तथ्य सामने आया कि कई मामलों में आशय पत्र जारी होने के बाद भी खनन योजनाएं अनुमोदन के लिए प्रस्तुत नहीं की जा रही हैं। उन्होंने कहा कि यदि ‘परियोजना प्रस्तावक खनन स्वीकृति के लिए पेश नहीं की जाती है, तो नियमानुसार एक लाख रुपये का जुर्माना वसूले जाने का नियम है। इस आधार पर कार्रवाई की जाए। साथ ही कई प्रकरणों में खनन योजना अनुमोदन के बाद पर्यावरण स्वच्छता प्रमाण-पत्र के लिए आवेदन नहीं हो रहा है। जबकि इस सम्बन्ध में आवश्यक दिशा-निर्देश पहले ही जारी किये जा चुके हैं।

उन्होंने कहा कि कई खनन पट्टे लेने वाले एक-दो प्रक्रिया करके खदानों की नीलामी प्रक्रिया को अटका दे रहे हैं। इससे तो खदानें शुरू नहीं पा रही हैं। डॉ. रोशन जैकब ने अब इसके लिए सीधे खनन इंस्पेक्टरों को जिम्मेदारी दी है। उन्होंने सभी जिलों के ज्येष्ठ खान अधिकारी, खान अधिकारी तथा खान निरीक्षकों को दिशा-निर्देश जारी किये हैं। उन्होंने यह भी निर्देश दिये हैं कि जिलों के रिक्त क्षेत्रों को नियमानुसार दोबारा ई-नीलामी करके पट्टे पर दिए जाएं। उन्होंने कहा कि ऐसे सभी मामलों की जांच-पड़ताल कर निराकरण किया जाए। कन्सल्टेट से समन्वय बनाकर मामलों को निपटाया जाए और खनन शुरू कराएं। यदि अनावश्यक कारणों से खनन क्षेत्र खाली पड़ा रहता है, तो इसकी व्यक्तिगत जिम्मेदारी खनन इंस्पेक्टरों की होगी।

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