ओजोन परत के छेद में अब काफी सुधार, क्षयकारी पदार्थों की मात्रा में आई कमी
इस दिवाली पर जब बढ़ते प्रदूषण के कारण उत्तर भारत के प्रमुख शहरों में धुंध छाई हुई थी तब अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर एक अच्छी खबर भी आ रही थी। इस खबर का स्थानीय पर्यावरणविदों ने स्वागत किया है। इस खबर के...
इस दिवाली पर जब बढ़ते प्रदूषण के कारण उत्तर भारत के प्रमुख शहरों में धुंध छाई हुई थी तब अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर एक अच्छी खबर भी आ रही थी। इस खबर का स्थानीय पर्यावरणविदों ने स्वागत किया है। इस खबर के अनुसार ओजोन परत में हुए छेद के बाद अब इसमें काफी सुधार हो रहा है।
मांट्रियल प्रोटोकॉल के एक वैज्ञानिक आकलन के अनुसार हमारे वातावरण में ओजोन डिप्लीटिंग सब्सटान्सेज यानी ओजोन क्षयकारी पदार्थों की मात्रा में कमी होना शुरू हो गई है। इस समिति के आकलन को अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर क्विटो में इसी माह पांच नवम्बर को प्रस्तुत किया गया।
इस जानकारी के अनुसार ओजोन परत में 2000 के बाद लगातार सुधार हो रहा है। यह सुधार एक दशक में लगभग 1 से 3 प्रतिशत आंका गया है। यदि इसी दर पर सुधार होता रहा तो उत्तरी गोलार्द्ध में ओजोन परत 2030 तक पूर्णत: ठीक हो जाएगी। उधर मध्य अक्षांश व ध्रुवीय क्षेत्र में 2060 तक पूर्ण सुधार होने का अनुमान है।
अब जबकि नए साल की शुरुआत होने वाली है, तब सबकी निगाह किगाली संशोधन पर होगी। यह संशोधन मांट्रियल प्रोटोकॉल में 2016 में किया गया था। लगभग 197 देश इस समझौते के समर्थन में हैं। भारत ने भी इस समझौते का समर्थन व स्वागत किया था। नए साल में यह समझौता सभी पर बाध्यकारी होगा।