विपक्षी दलों को भाजपा सरकार के खिलाफ हमला बोलने का बड़ा मुद्दा मिला
विशेष संवाददाता राज्य मुख्यालय
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फूलपुर और गोरखपुर लोकसभा सीट की हार के बाद पहले से आक्रामक विपक्षी दलों को उन्नाव काण्ड ने प्रदेश की भाजपा सरकार पर हमला बोलने का एकऔर बड़ा मुद्दा दे दिया है।
कांग्रेस हो या समाजवादी पार्टी या फिर बहुजन समाज पार्टी, सारे विपक्षी दलों को उन्नाव कांड ने सरकार पर हल्ला बोलने का मौका दे दिया है। विपक्षी दलों के रूख से साफ है कि उन्नाव प्रकरण को इतनी जल्दी शांत नहीं होने देंगे। सरकार पर हमला करने का मौका हाथ से जाने नहीं देंगे बल्कि इसकी गूंज प्रदेश की सियासत में लंबे समय तक सुनाई देगी।
प्रदेश की सियासत में ऐसा पहली बार नहीं हुआ है जबकि सत्ता पक्ष के किसी विधायक पर बलात्कार और मारपीट करने का आरोप है। मुलायम सरकार में कविता काण्ड, बसपा सरकार में शीलू काण्ड व विधायक शेखर तिवारी काण्ड और सपा सरकार में मंत्री गायत्री प्रजापति पर लगे आरोपों ने सरकार की छवि पर ऐसा ही ग्रहण लगाया था। सरकार जाने के बाद भी सत्ता पक्ष के मंत्रियों-विधायकों के कारनामों की गूंज शांत नहीं हो सकी। भाजपा सरकार में बांगरमऊ के विधायक कुलदीप सिंह सेंगर पर लगे आरोपों से विपक्षी दल बैठे-बिठाये अपनी सियासत गर्मा रहे हैं।
कांग्रेस इस मुद्दे पर लखनऊ से दिल्ली तक कैंडिल मार्च निकाल रही है। खुद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी दिल्ली में आधी रात को कैंडिल मार्च की अगुआई कर रहे हैं। लखनऊ में महिला कांग्रेस जोरदार प्रदर्शन कर चुकी है। पार्टी निष्पक्ष जांच के लिए मुख्यमंत्री से इस्तीफा और विधायक कुलदीप सेंगर को भाजपा से निकालने की मांग कर रही है।
समाजवादी पार्टी तो अपना प्रतिनिधिमण्डल उन्नाव भेज चुकी है। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सूबे में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग कर डाली है। पीड़िता को 50 लाख रुपये का मुआवजा देने की भी मांग की है। बसपा अध्यक्ष मायावती ने प्रधानमंत्री से गंगा तट पर उपवास करने और जनता से माफी मांगने की मांग की है।
सीबीआई जांच होने और विधायक की गिरफ्तारी हो जाने के बावजूद विपक्षी दलों के भाजपा और उसकी सरकार पर हमलों की धार कम होने की जगह और बढ़ रही है। संकेत साफ है सत्ता पक्ष की मामले को लेकर प्रारम्भ में की गई हीलाहवाली अब उस पर भारी पड़ रही है। आने वाले समय में विपक्षी दल हमलों की धार और तेज करेंगे।