चकमा देकर भागा एक लाख का इनामी बदमाश दिल्ली से गिरफ्तार
पांच साल पहले लखनऊ में पेशी के दौरान पुलिस को चकमा देकर फरार हुए सीतापुर के हिस्ट्रीशीटर सतीश मिश्रा उर्फ करिया को एसटीएफ ने दिल्ली में बुधवार को गिरफ्तार किया। सतीश पर एक लाख रुपये इनाम घोषित था। वह...
पांच साल पहले लखनऊ में पेशी के दौरान पुलिस को चकमा देकर फरार हुए सीतापुर के हिस्ट्रीशीटर सतीश मिश्रा उर्फ करिया को एसटीएफ ने दिल्ली में बुधवार को गिरफ्तार किया। सतीश पर एक लाख रुपये इनाम घोषित था। वह इससे पहले भी दो बार पेशी से भागा था लेकिन पकड़ लिया गया था। वह लम्बे समय से दिल्ली में फर्जी नाम से रह रहा था। इस दौरान उसने लखनऊ, सीतापुर और हरदोई में कई वारदात भी की।
एसटीएफ के आईजी अमिताभ यश ने कुछ दिन पहले एसएसपी अभिषेक सिंह के साथ फरार इनामी बदमाशों का ब्योरा तैयार कराया। इस दौरान ही सीतापुर के मछरेटा थाने के हिस्ट्रीशीटर सतीश मिश्रा (498-ए) के बारे में कई तथ्य हाथ लगे। पता चला कि वह नई दिल्ली के द्वारिका में मूलचन्द प्रजापति के मकान में किराये पर रह रहा है। इसके बाद ही उसके बारे में सारी जानकारियां जुटाना शुरू कर दिया। दो दिन पहले इंस्पेक्टर संतोष सिंह के नेतृत्व में एक टीम दिल्ली गई और उसे पकड़ा।
अंतिम बार 2012 में पकड़ा गया था
एसटीएफ के डिप्टी एसपी प्रमेश शुक्ला के मुताबिक सतीश इससे पहले वर्ष 2012 में पकड़ा गया था। सीतापुर जेल से उसे बाराबंकी कोर्ट में पेशी पर ले जाया गया था। साजिश के तहत उसके दो साथियों ने सिपाहियों उत्तम व राजेश को नशीला पदार्थ खिला दिया था। दोनों के बेहोश होने पर सतीश सिधौली में ट्रेन से भाग निकला था।
वर्ष 2011 व 2014 में भी भागा था पेशी से: हिस्ट्रीशीटर सतीश मिश्र वर्ष 2011 में सिपाही गिरिजा शंकर को भी नशीला पदार्थ खिलाकर लखनऊ में पेशी के समय भाग निकला था। इसी तरह वह फरवरी, वर्ष 2014 में मड़ियांव में दर्ज एक मुकदमे के मामले में लखनऊ पेशी पर गया था। यहां कोर्ट परिसर से बाहर निकलते ही वह सुरक्षा में तैनात सिपाही मधुर तिवारी को चकमा देकर भाग निकला था।
दिल्ली में फर्जी आधार कार्ड व डीएल बनवाया
एसटीएफ के एसएसपी अभिषेक सिंह ने बताया कि वर्ष 2014 में फरार होने के बाद उसने मड़ियांव स्थित घर व पैतृक जमीन को बेच दिया। फिर वह परिवार के साथ दिल्ली चला गया। यहां पर उसने रमेश मिश्रा नाम से फर्जी आधार कार्ड व ड्राइविंग लाइसेंस बनवाया। उसने पत्नी व बेटों के भी फर्जी पहचान पत्र बनवा लिये। आस पड़ोस के किसी भी व्यक्ति को उस पर शक नहीं हुआ।
ओला कैब में तीन गाड़ी लगवा रखी थी
सतीश ने अपने फर्जी नाम रमेश मिश्र व बेटों सत्यम और शिवम के नाम से कार खरीदी थी। इन कारों को उसने ओला कैब में लगवा रखी थी। इसके अलावा उसने हरियाणा, दिल्ली और हरिद्वार में प्लॉट भी खरीद रखे हैं।
इन वारदात का आरोपी
1993 में सतीश ने सीतापुर के रामपाल बैरागी की हत्या कर दी थी
2003 में राम प्यारे दीक्षित की हत्या करवायी
2009 में मड़ियांव से दाल मिल व्यापारी अशोक अग्रवाल का अपहरण किया था
2011 में सीतापुर में ही देवी सहाय शुक्ला की हत्या की