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भूमि सुधार निगम को नहीं मिला कोई प्रोजेक्ट, 29 दिसम्बर को तालाबन्दी तय

सरकारी अधिकारियों की लापरवाही के कारण भूमि सुधार के क्षेत्र में कार्य कर रहे प्रदेश के हजारों लोग अगले महीने से बेरोजगार हो जाएंगे। कारण अधिकारियों ने विश्व बैंक के पास न तो कोई नया प्रोजेक्ट भेजा और...

भूमि सुधार निगम को नहीं मिला कोई प्रोजेक्ट, 29 दिसम्बर को तालाबन्दी तय
हिन्दुस्तान टीम,लखनऊSun, 18 Nov 2018 09:08 PM
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सरकारी अधिकारियों की लापरवाही के कारण भूमि सुधार के क्षेत्र में कार्य कर रहे प्रदेश के हजारों लोग अगले महीने से बेरोजगार हो जाएंगे। कारण अधिकारियों ने विश्व बैंक के पास न तो कोई नया प्रोजेक्ट भेजा और न ही राज्य सरकार के हिस्से का धन पाने के लिए अनुपूरक बजट में सरकार के पास कोई प्रस्ताव ही भेजा।

कहा तो यहां तक जा रहा है कि प्रबंधन के शीर्ष पदों पर बैठे लोग उस समय अपनी प्रतिनियुक्ति की अवधि बढ़वाने में मशगूल थे। धन के अभाव में दिसम्बर के अंत में निगम में तालाबंदी को तय माना जा रहा है। जानकारों की मानें तो विश्व बैंक से पोषित भूमि सुधार निगम की ओर से प्रदेश में सोडिक लैंड रिक्लेमेशन-3 परियोजना के तहत ऊसर-बीहड़ सुधार का कार्य किया जा रहा है, जो इस वर्ष 29 दिसम्बर तक पूरा होने जा रहा है। प्रदेश में अभी भी बड़े पैमाने पर ऊसर-बंजर-बीहड़ व जलमग्न भूमि है, जिसे खेती लायक बनाने की जरूरत है। इसी को ध्यान में रखकर सोडिक लैंड रिक्लेमेशन-3 की समाप्ति के बाद प्रदेश की ऊसर, बंजर व बीहड़ के साथ-साथ जलमग्न भूमि को सुधारकर उसे खेती लायक बनाने के लिए एक बहुद्देशीय योजना को केन्द्र सरकार ने इस वर्ष के प्रारम्भ में हरी झंडी दे दी थी ताकि सोडिक लैंड रिक्लेमेशन-3 के समाप्त होते ही इस दिशा में कार्य जारी रह सके। इस योजना को विश्व बैंक ने भी सहमति दे दी थी। इन सब औपचारिकताओं के पूरा हो जाने से उम्मीद की जा रही थी कि सोडिक-3 की समाप्ति के बाद इसके अभिलेखों के प्रतिवेदन की अवधि चार माह में समाप्त होते ही अगले वर्ष अप्रैल से नई योजना शुरू हो जाएगी। साथ ही जितने लोग इस क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं और जिन्होंने इस क्षेत्र की विशेषज्ञता भी हासिल कर ली है वे सभी आगे भी इस क्षेत्र में कार्य करते रहेंगे। इसी बीच कोई नया प्रोजेक्ट मंजूर नहीं होने तथा सरकार से कोई आर्थिक सहायता नहीं मिल पाने से 29 दिसम्बर को सोडिक-3 बन्द हो जाएगा।

यहां यह उल्लेखनीय है कि सोडिक-3 में विश्व बैंक की ओर से जहां 80 फीसद राशि को ब्याज मुक्त कर्ज पर दिया जा रहा था, वहीं शेष 20 प्रतिशत राशि राज्य सरकार लगा रही थी। हजारों लोग हो जाएंगे बेरोजगारप्रदेश के 20 जिलों में भूमि सुधार के प्रोजेक्ट चल रहे हैं। प्रोजेक्ट के क्रियान्वयन के लिए हर जिले में स्वयं सहायता समूह की सेवायें ली जा ही हैं। इन समूहों में कार्य करने वाले हजारों लोगों को भूमि सुधार निगम से वेतन-भत्ते दिए जाते हैं। जबकि निगम मुख्यालय से लेकर निगम के अलग-अलग कार्यालयों में भी 250 से ज्यादा तकनीकी एवं प्रशासनिक पदों पर संविदाकर्मी कार्य कर रहे हैं। ऐसे में इन सभी की सेवायें समाप्त हो जाएंगी।

क्या कहते हैं जिम्मेदार

अब कुछ नहीं हो सकता। प्रोजेक्ट बन्द होने जा रहा है।

- प्रभात कुमार, अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश भूमि सुधार निगम एवं कृषि उत्पादन आयुक्त, उ‌त्तर प्रदेश

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