अवधी में अब कविता के साथ ही निबंध, कहानी, उपन्यास लिखे जा रहे
लखनऊ, कार्यालय संवाददाता। अंतरराष्ट्रीय भाषा संस्थान सूरत (गुजरात) और लखनऊ विश्वविद्यालय की ओर से...

लखनऊ, कार्यालय संवाददाता।
अंतरराष्ट्रीय भाषा संस्थान सूरत (गुजरात) और लखनऊ विश्वविद्यालय की ओर से भाखा महोत्सव 2023 का आयोजन विश्वविद्यालय परिसर में किया गया। समारोह में दूरदर्शन और आकाशवाणी के कलाकारों ने संगीतमय प्रस्तुति दी। इसके अलावा साहित्य के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान करने के लिए शिक्षाविदों, अवधी साहित्य साधकों एवं लोक कलाकारों को सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में अंतरराष्ट्रीय भाषा संस्थान की पत्रिका के साथ देवेंद्र कश्यप निडर की पुस्तक श्रमवीर, धन सिंह मेहता की पुस्तक कोई माने या न माने, आकांक्षा दीक्षित की कृति प्रेम दूत, डॉ. गंगा प्रसाद शर्मा द्वारा अनुवादित आशा से निकाशा, उमाशंकर शुक्ला रचित लोक नायक गुरुनानक देव और गौतम बुद्ध चरित्र पुस्तक का लोकार्पण किया गया। मुख्य अतिथि राज्य सभा सदस्य ब्रजलाल और अध्यक्षता कर रहे प्रो. सूर्य प्रसाद दीक्षित ने दीप प्रज्ज्वलित करके कार्यक्रम का उद्घाटन किया।
प्रो. सूर्य प्रताप दीक्षित ने कहा की अवधि भाषा कभी राज्यश्रय में नहीं रही। लोक से जुड़े होने के कारण वे जनमानस में व्याप्त रही है। आज अवधी में कविता के अतिरिक्त निबंध, कहानी, उपन्यास लिखे जा रहे हैं। जिसमें परंपरा के साथ आधुनिक संदर्भों के प्रति जागरूकता पैदा की है। मुख्य अथिति राज्यसभा सांसद ब्रजलाल की पुस्तकों का प्रदर्शन भी किया गया। कार्यक्रम में डॉ. भास्कर शर्मा को सूर्यप्रसाद दीक्षित अलंकरण, फारूक सरल को रमई काका सम्मान सम्मान के साथ राजेंद्र कुमार, रमेश दुबे, संदीप मिश्र, सरस रमेश बाजपेई, आकांक्षा दीक्षित, राजेंद्र चौधरी, ममता सक्सेना, ममता सिंह, शताक्षी और निधि दुबे को सम्मानित किया गया। इस अवसर पर अवधी काव्य सम्मेलन का आयोजन किया गया।
