सहालग से नही, अब सर्राफा बाजार को दीवाली से उम्मीदे
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विशेष संवाददाता--राज्य मुख्यालयटीवी पर सोने के भाव की पट्टी चल रही है। लॉक डाउन के शुरुआती दौर से अब तक सोने की कीमतों में उछाल दिख रहा है। सहालग की तारीखें भी खूब हैं लेकिन सर्राफा बाजार में सिर्फ सन्नाटा ही नहीं, बल्कि मायूसी है। रोज लगभग 100 किलो सोना बेचने वाले सुनारों की पेशानियों पर बल पड़े हैं।भले ही मई में भी शादियों का योग हो लेकिन सर्राफा बाजार को अब उम्मीदें सिर्फ दीवाली से है। इस साल के शुरुआती दौर से ही सर्राफा बाजार उठ नहीं पा रहा है। चौक स्थित जीपी सेंटर व गोविंद हॉलमार्क सेंटर के राजकुमार वर्मा कहते हैं -इस साल की शुरुआत ही अच्छी नहीं हुई थी। सीएए और एनआरसी के बवाल के चलते मंदी ही रही। चूंकि इस बार बहुत लंबी सहालग थी इसलिए हम बहुत आशावान थे । दुकान में समान भर लिया था लेकिन अब कुछ नहीं है।सोने की कीमतों में हुआ इज़ाफ़ाजब लॉकडाउन शुरू हुआ था तब सोने की कीमतें 40 हजार रुपये प्रति 10 ग्राम पर पहुंच गई थीं लेकिन 10 दिन बीत जाने के बाद इसकी कीमतों में उछाल हुआ है। इसकी कीमतें इस बीच 45 हज़ार रुपये प्रति 10 ग्राम के आसपास पहुंच गई। हालांकि दिल्ली सर्राफा बाजार बंद है और यह दाम बुलियन मार्केट के हैं लेकिन सोने की मजबूती भी सुनारों को खुशी नहीं दे पा रही है क्योंकि इस वक्त उन्हें अपने व्यापार से ज्यादा इस महामारी से बचाव की चिंता है।सर्राफा एसोसिएशन के महामंत्री विनोद माहेश्वरी कहते हैं - हमने इस उम्मीद में बहुत सामान खरीद लिया था कि सहालग में काफी बिक्री होगी। पूरा बाजार सीज़न में लगभग 100 किलो सोना बेच लेता है।ज्वैलरी खरीदी जाएगी कमसर्राफा बाजार को पता है कि जब भी बाजार खुलेंगे तब भी लोग ज्वैलरी तो नहीं ही खरीदेंगे। जिनके वहाँ शादी भी है उनके यहाँ भी जरूरत भर के गहने ही खरीदे जाएंगे। विनोद कहते हैं -इस समय ट्रेड से ज्यादा चिंता महामारी की है। चिंता अपनी बंद दुकानों को लेकर भी है। निजी तौर पर सब ने गार्ड रखे हुए हैं इसके बावजूद लंबी छुट्टियों में दुकान कितनी सुरक्षित है, इसकी चिंता भी है। आने वाले समय में भी होगी दिक्कत बीते 10 दिन से कोई बिक्री नहीं हुई लेकिन कर्मचारियों को वेतन तो देना ही है। लगभग सभी बड़े सुनार की दुकानों में कर्मचारियों के वेतन में दो से तीन लाख रुपये लगता है। वहीं उसे टैक्स भी चुकाना है और जो सामान खरीदा था उसके व्यापारी भी पेमेंट के लिए तकादा करेंगे। लखनऊ में सर्राफा के 10 बड़े बाजार हैं। चौक में थोक का बाजार है। सबसे ज्यादा राजस्व हम देते है लेकिन अब वक्त ने हमें मजबूर किया है। मैं 83 साल का हूं और इतना खराब वक़्त हमने नहीं देखा। 3 साल पहले एक्साइज ड्यूटी को लेकर हमने 47 दिन दुकानें बन्द की थीं लेकिन उसके लिए हम मानसिक रूप से तैयार थे। इस वक्त सर्राफा क्या, सभी व्यापारी परेशान हैं लेकिन सबको समझना होगा कि इस महामारी से हम सब मिलकर ही लड़ सकते हैं। --कैलाश चन्द्र जैन, अध्यक्ष, सर्राफा एसोसिएशन, चौक
