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नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना एक्सप्रेस वे इलेक्ट्रानिक जोन घोषित

-नोएडा, ग्रेटर नोएडा तथा यमुना एक्सप्रेस-वे इलेक्ट्रानिक्स मैन्युफैक्चरिंग जोन...

नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना एक्सप्रेस वे इलेक्ट्रानिक जोन घोषित
हिन्दुस्तान टीम,लखनऊMon, 01 Jan 2018 06:36 PM
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-नीति का लक्ष्य राज्य को इलेक्ट्रानिक्स मैन्युफैक्चरिंग हब बनाया जाना

-ईएसडीएम क्षेत्र में 20000 करोड़ रुपये का निवेश और 2022 तक 3 लाख लोगों के लिए रोजगार सृजित करने का लक्ष्य

-ईएसडीएम इकाइयों को पूंजी उपादान, ब्याज उपादान, स्टाम्प शुल्क में शत-प्रतिशत छूट और स्टेट जीएसटी की शत-प्रतिशत प्रतिपूर्ति की व्यवस्था

विशेष संवाददाता-राज्य मुख्यालय

प्रदेश सरकार ने इलेक्ट्रानिक्स सिस्टम डिजाइन एवं मैन्युफैक्चरिंग (ईएसडीएम) उद्योग में इको सिस्टम को रफ्तार देने के लिए ‘यू0पी0 इलेक्ट्रानिक्स विनिर्माण नीति-2017‘ जारी कर दी है। इसके तहत नोएडा, ग्रेटर नोएडा तथा यमुना एक्सप्रेस-वे को ‘इलेक्ट्रानिक्स मैन्युफैक्चरिंग जोन‘ घोषित किया गया है। यूपी इलेक्ट्रानिक्स विनिर्माण नीति के समस्त प्रोत्साहन व लाभ इस उद्घोषित क्षेत्र में लगने वाली सभी इकाइयों के लिए अनुमन्य होंगे।

उप मुख्यमंत्री एवं आईटी इलेक्ट्रानिक्स मंत्री डा. दिनेश शर्मा ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इस नीति का लक्ष्य प्रदेश को इलेक्ट्रानिक्स मैन्युफैक्चरिंग हब बनाना है। इसके साथ ही प्रदेश में अनुकूल परिवेश प्रदान कर राज्य को देश में सर्वाधिक वरीयता वाले निवेश गन्तव्य (प्रफर्ड डिस्टिनेशन) के रूप में स्थापित कर इलेक्ट्रानिक्स उद्योग को प्रोत्साहन देना है।

उन्होंने बताया कि नीति का लक्ष्य ईएसडीएम क्षेत्र में 20000 करोड़ का निवेश आकर्षित करना और 2022 तक तीन लाख लोगों के लिए रोजगार सृजित करना है। इलेक्ट्रानिक्स विनिर्माण नीति का मुख्य उद्देश्य राज्य में इलेक्ट्रानिक मैन्युफैक्चरिंग क्लस्टर्स / ईएसडीएम पाक्र्स की स्थापना, अधिकतम निवेश को आकर्षित करना, फैब इकाई की स्थापना पर बल देना और प्रादेशिक सकल घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) में वृद्धि करना है।

नीति के अनुसार व्यवसायिक इकाइयों की स्थापना के लिए इलेक्ट्रानिक्स विनिर्माण संकुल / ईएसडीएम पार्कों की स्थापना पर बल दिया जाएगा। इलेक्ट्रानिक्स विनिर्माण नीति के सफल क्रियान्वयन के लिए एक इलेक्ट्रानिक मिशन निदेशालय होगा। नीति को लागू करने के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित एक राज्य स्तरीय सशक्त समिति नज़र रखेगी। समिति में नोएडा, ग्रेटर नोएडा, यमुना एक्सप्रेस-वे प्राधिकरण के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक, उप्र राज्य औद्योगिक विकास निगम इस समिति के सदस्य होंगे।

नीति क्रियान्वयन इकाई (पीआईयू) 200 करोड़ रुपये से अधिक संभावित निवेश वाले प्रस्तावों का परीक्षण कर इम्पावर्ड कमेटी के समक्ष प्रस्तुत करेगी। यह कमेटी केस-टू-केस आधार पर विचार कर मंत्रिपरिषद के अनुमोदन के लिए अनुशंसा करेगी। पीआईयू 200 करोड़ रुपये से कम पूंजी निवेश वाली परियोजना को अनुमोदन करेगी।

राज्य में इलेक्ट्रानिक्स मैन्युफैक्चरिंग जोन में स्थापित होने वाली इकाइयों के लिए विभिन्न वित्तीय प्रोत्साहन एवं छूट प्रदान किए जाने की भी व्यवस्था है। इसमें भूमि के अतिरिक्त स्थिर पूंजी पर, 5 करोड़ रुपये की अधिकतम सीमा सहित, 15 प्रतिशत पूंजी उपादान अनुमन्य होगा। इसके अलावा 200 करोड़ रुपये से अधिक निवेश वाली इकाइयों को केस-टू-केस आधार पर पूंजी उपादान की सीमा को अधिकतम 150 करोड़ रुपये की सीमा तक शिथिल किया जा सकता है।

-बैंकों से लिए गए ऋण पर अदा किए गए ब्याज की दर पर 5 प्रतिशत प्रतिवर्ष की ब्याज उपादान की प्रतिपूर्ति 7 वर्ष तक की जाएगी

-इसकी अधिकतम सीमा प्रतिवर्ष प्रति इकाई 1.00 करोड़ रुपये (एक करोड़) रुपये होगी।

-इकाइयों की स्थापना के लिए भूमि क्रय करने अथवा पट्टे पर लेने पर स्टाम्प शुल्क में शत-प्रतिशत छूट प्राप्त होगी।

-भूमि को छोड़कर अन्य स्थिर पूंजी निवेश के अधिकतम 100 प्रतिशत की सीमा सहित 10 वर्षों की अवधि तक, जो भी पहले हो, स्टेट जीएसटी की शत-प्रतिशत प्रतिपूर्ति की जाएगी।

-इलेक्ट्रानिक इकाइयों को सरकारी अभिकरणों से क्रय की जाने वाली भूमि पर 25 प्रतिशत की छूट अनुमन्य होगी।

-इकाइयों में कार्य करने वाले कार्मिकों की सुविधाओं के लिए न्यूनतम 50 एकड़ भूमि क्षेत्र में ‘इन्डस्ट्रियल लैण्ड यूज‘ में 30 प्रतिशत के कुल फ्लोर एरिया रेशियो की सीमा तक भूमि का उपभोग डारमीटरीज, कैन्टीन, डिस्पेन्सरी आदि के लिए किया जा सकता है।

-200 करोड़ रुपये से अधिक निवेश वाली इकाइयों के लिए केस-टू-केस आधारित प्रोत्साहन की व्यवस्था की गई है।

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