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अस्पतालों की ओपीडी में सांस के मरीज 30 प्रतिशत तक बढ़े

लखनऊ। वरिष्ठ संवाददाता

अस्पतालों की ओपीडी में सांस के मरीज 30 प्रतिशत तक बढ़े
हिन्दुस्तान टीम,लखनऊThu, 01 Nov 2018 08:28 PM
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-डॉक्टरों ने सांस के मरीजों को मास्क लगाकर घर से निकलने की दी सलाहलखनऊ। वरिष्ठ संवाददातामौसम तेजी से बदल रहा है। वातावरण में प्रदूषण का स्तर भी बढ़ रहा है। नतीजतन सरकारी अस्पतालों में सांस के मरीजों की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है। हालात यह है कि सांस की ओपीडी में 20 से 30 प्रतिशत तक मरीजों की संख्या में इजाफा हो गया है। दिल के मरीजों की भी मुश्किलें बढ़ गई हैं।मास्क लगाकर निकले मरीजलोहिया, बलरामपुर, सिविल, केजीएमयू समेत दूसरे सरकारी अस्पतालों में सांस, एलर्जी समेत दूसरी बीमारियों से पीड़ितों की संख्या में तेजी से इजाफा रहा है। सिविल अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. आशुतोष दुबे ने बताया कि सांस के मरीजों की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है। केजीएमयू के पल्मोनरी मेडिसिन विभाग के डॉ. संतोष कुमार ने बताया कि सीओपीडी (क्रॉनिक आब्सटेक्टिव पल्मोनरी डीसीज), अस्थमा के मरीजों की संख्या बढ़ी है। चेस्ट रोग विशेषज्ञ डॉ. एके सिंह ने बताया कि वातावरण में प्रदूषण का स्तर तेजी से बढ़ा है। ऐसे में पटाखा के धुआं वातावरण को और जहरीला कर देगा। यह धुआं और प्रदूषण के कण वातावरण के निचले सतह पर रहते हैं। नतीजतन आसानी से सांस के जरिए फेफड़ों में पैबस्त हो जाते हैं। उन्होंने बताया कि पटाखों में तांबा, कैडमियम जैसे कई तरह के जहरीले पदार्थ मौजूद रहते हैं। जो सांस लेने के संबंध में तकलीफदेह बन सकते हैं। दमा, एलर्जी, दिल के मरीजों की परेशानी बढ़ा देते हैं। उन्होंने बताया कि प्रदूषण से बचने के लिए मरीज मास्क लगाकर चले। मास्क को दो से तीन दिन पर जरूर धुलें।यह भी है वजहडॉ. एके सिंह ने बताया कि शहर में निमार्ण कार्य, ड्रिलिंग और खुदाई का काम बेतरतीब तरीके चल रहा है। इससे उड़ने वाली धूल सेहत के लिए घातक है। यह धूल सांस की नली में पहुंचकर सूजन पैदा करती। इससे बीमारी उभर आती।सावधानी बरतें-छींकना, नाक से पानी बहना और सिरदर्द शामिल हैं। इसके परिणामस्वरूप फेफड़ों में सूजन हो सकती है। सांस लेने, खांसी, छाती में दर्द हो सकता है। निमोनिया तक हो सकता है। -पटाखों के धुएं से बचें-सांस के मरीज पानी के भाप का उपयोग करें-रोगी घर के अंदर रहें और खिड़की-दरवाजें बंद रखें-नाक के बंद हो जाने पर नेजल स्प्रे का प्रयोग करें-सांस की परेशानी होने पर डॉक्टर की सलाह लें-एलर्जी, अस्थमा के लिए दवा - गोलियां, सिरप और नेजल स्प्रे इस्तेमाल करें-अस्थमा व सांस के मरीज प्रदूषण ज्यादा होने पर बाहर सैर या व्यायाम करने से बचें-खुशबूदार मोमबत्तियों या धूप का उपयोग न करें।

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