स्वास्थ्य नीति में सरकारी अस्पताल के डॉक्टरों की ली जाए राय
लखनऊ। कार्यालय संवाददाता
लखनऊ। कार्यालय संवाददाता
स्वास्थ्य नीति में सरकारी अस्पताल के डॉक्टरों की राय ली जानी चाहिए। क्योंकि डॉक्टर ही योजनाओं पर अमल कराते हैं। उनका सीधा संवाद मरीजों से होता है। मरीजों के हितों को डॉक्टर बेहतर समझते हैं। यह मांग प्रान्तीय चिकित्सा सेवा संघ (पीएमएस) के उपाध्यक्ष मुख्यालय डॉ. आशुतोष दुबे ने कही।
वह रविवार को डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान के प्रेक्षागृह में पीएमएस की वार्षिक सभा को संबोधित कर रहे थे। डॉ. आशुतोष दुबे ने कहा कि सरकारी अस्पतालों में मरीजों का दबाव बढ़ता जा रहा है। संसाधन कम है। नई योजनाएं आ रही हैं। स्वास्थ्य नीति के बेहतर संचालन के लिए डॉक्टरों की राय जरूरी ली जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार डॉक्टरों के हितों में भी कदम उठाए। नियमित प्रमोशन मिलने चाहिए। अफसोस की बात यह है कि विभागीय प्रोन्नतियों के लिए डॉक्टरों को इंतजार करना पड़ रहा है। बैठक में मौजूद विशेष सचिव नीरज शुक्ला 15 दिन के भीतर विभागीय प्रोन्नति (डीपीसी) शुरू करने का भरोसा दिलाया। बैठक में स्वास्थ्य विभाग के महानिदेशक डॉ. पद्माकर सिंह, अपर महासचिव डॉ. अनिल, डॉ. विकास, डॉ. भवतोष शंखधर, लोहिया अस्पताल के निदेशक डॉ. डीएस नेगी, डॉ. डीआर सिंह, सिविल अस्पताल के सीएमएस डॉ. एके सिंह मौजूद थे।
35 प्रतिशत मिले भत्ता
डॉ. आशुतोष दुबे ने कहा कि डॉक्टरों के नॉन प्रैक्टिसिंग भत्ते (एनपीए) में इजाफा किया जाए। कम से कम 35 प्रतिशत एनपीए मिलना चाहिए। मंहगाई और मेहनत के हिसाब से डॉक्टरों की सुविधाओं मे बढ़ोत्तरी की जाए। इसके अलावा डॉक्टरों के तबादले की नीति भी पारदर्शी होनी चाहिए। वार्षिक स्थानांतरण नीति में संशोधन होना चाहिए। विशेषज्ञ डॉक्टरों का तबादला संसाधनयुक्त अस्पतालों में ही किया जाना चाहिए। इसके अलावा डेंटल संवर्ग की रिटायरमेंट उम्र में भी इजाफा किया जाना चाहिए। 60 से बढ़ाकर 62 किया जाए।
सुरक्षा बढ़ाई जाए
संघ की उपाध्यक्ष (महिला) डॉ. निरूपमा सिंह ने कहा कि अस्पतालों में सुरक्षा व्यवस्था को दुरुस्त किए जाने की जरूरत है। सैनिक कल्याण निगम के गार्डों को तैनात किया जाना चाहिए। इसके अलावा रात में पोस्टमार्टम की नीति व नियमावली को कड़ाई से लागू की जाए।
सुविधाएं बढ़ाई जाएं
संघ के वरिष्ठ सदस्य डॉ. अनिल श्रीवास्तव ने कहा कि सरकारी अस्पतालों के प्रति मरीजों का भरोसा बढ़ा है। डॉक्टर व कर्मचारी मेहनत से काम कर रहे हैं। ऐसे में सरकार को भी डॉक्टरों की सुविधाओं के बारे में गंभीरता से विचार करने की जरूरत है। क्योंकि छोटी-छोटी जरूरतों के लिए डॉक्टरों को परेशान न होना पड़े।
रिटायरमेंट उम्र 62 का विकल्प हो
उपाध्यक्ष (जनरल) डॉ. भवतोष शंखधर ने कहा कि रिटायरमेंट की उम्र को लेकर डॉक्टरों में आक्रोश है। डॉक्टरों को 62 साल पर रिटायरमेंट की उम्र विकल्प के तौर पर होनी चाहिए। वहीं वीआरएस डॉक्टर की मांग के अनुरुप प्रदान किया जाए।