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मरीजों की जान जोखिम में डालकर इलाज करने वाला अस्पताल सील

-अवैध अस्पताल सील, दूसरे अवैध अस्पताल से मांगे दस्तावेज -14 साल की युवती को करा रहे नर्सिंग की ट्रेनिंग कॉमन इंट्रो 14 साल की उम्र में नर्सिंग का कोर्स। सुनकर जरूर हैरत में पड़ गए होंगे लेकिन...

मरीजों की जान जोखिम में डालकर इलाज करने वाला अस्पताल सील
हिन्दुस्तान टीम,लखनऊWed, 23 Aug 2017 09:38 PM
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-अवैध अस्पताल सील, दूसरे अवैध अस्पताल से मांगे दस्तावेज -14 साल की युवती को करा रहे नर्सिंग की ट्रेनिंग कॉमन इंट्रो 14 साल की उम्र में नर्सिंग का कोर्स। सुनकर जरूर हैरत में पड़ गए होंगे लेकिन सीएमओ की टीम ने मोहनलालगंज के सुमित्रा नर्सिंग होम छापेमारी की। खामियां पकड़ी तो अधिकारियों से अस्पताल के कर्मचारियों ने अभद्रता शुरू कर दी। सीएमओ की टीम ने पुलिस में मुकदमा दर्ज कराया। इतना ही नहीं दूसरी टीम को पराग हॉस्पिटल में पांचवी फेल व्यक्ति महिला मरीज को खून चढ़ाता मिला। इन दोनों अस्पतालों मरीजों की जान से खिलवाड़ हो रहा था। बिना पंजीकरण दोनों अस्पतालों का संचालन हो रहा था। इनमें एक अस्पताल को सील कर दिया गया। अधिकारियों के मुताबिक दूसरा अस्पताल गुरुवार को सील होगा। हिन्दुस्तान टीम अपर मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. सुनील कुमार रावत की अगुवाई में मोहनलालगंज स्थित सुमित्रा नर्सिंग होम की जांच करने पहुंची टीम के साथ अस्पताल संचालक व कर्मचारी ने अभद्रता कर दी। जांच टीम को अस्पताल प्रशासन पंजीकरण से सम्बंधित कोई दस्तावेज मौके पर नहीं दिखा सके। अधिकारियों ने अस्पताल सील कर दिया। अस्पताल में भर्ती महिला मरीज को मोहनलालगंज सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) में भर्ती कराया गया। डॉ. सुनील व सीएचसी अधीक्षक डॉ. केपी त्रिपाठी के साथ बुधवार को सुमित्रा नर्सिंग होम में छापेमारी की। छापेमारी के दौरान शान्ती नाम की महिला मरीज को भर्ती कर इलाज कर रही थीं। महिला मरीज की देख-रेख 14 साल की किशोरी कर रही थी। पूछने पर उसने बताया कि वह नर्सिंग का कोर्स कर रही है। अस्पताल में ट्रेनिंग ले रही है। डॉक्टरों का कहना है कि नाबालिग से इलाज कराकर मरीजों की जान से खिलवाड़ हो रहा है। अधीक्षक ने बताया कि डॉक्टर के कमरे में युवक बैठा था। उसने खुद को डॉक्टर बताया। टीम ने उससे डॉक्टर की डिग्री मांगी। अस्पताल का पंजीकरण संबंधी दस्तावेज मांगे। युवक कोई कागजात नहीं दिखा सका। उसके बाद उस युवक ने जांच टीम के साथ अभद्रता शुरू कर दी। टीम का आरोप था कि उस युवक ने फोन कर अस्पताल के संचालक एसके मिश्रा व अन्य लोगों को मौके पर बुला लिया। अस्पताल संचालक ने अधिकारियों पर धन उगाही का आरोप लगाया। अधिकारियों की टीम ने पूरे मामले की सूचना उच्च अधिकारियों को फोन पर दी। मौके पर पुलिस की टीम पहुंची। जांच टीम को अस्पताल संचालक ने बताया कि उसके पास बिहार से बीएएमएस की डिग्री है। मौके पर वह दिखा नही सके। अस्पताल में भर्ती महिला मरीज को सीएचसी में भर्ती कराने के बाद अस्पताल को सील कर दिया गया। मची चीख-पुकार अधूरा इलाज छोड़ कर्मचारी भाग खड़े हुए। इसकी वजह से मरीज घबरा गए। मरीज व उनके तीमारदार चीख-पुकार मचाने लगे। मरीजों को सीएचसी शिफ्ट किया गया। वहां मरीजों की ड्रेसिंग समेत दूसरा इलाज हुआ। ----------------- निगोहा। हिंदुस्तान संवाद किसी के सिर में चोट लगी थी कोई पेट संबंधी परेशानी के साथ भर्ती हुआ। खून की कमी के कारण भी कई महिलाओं को भर्ती किया गया था। सीएमओ की टीम जब निगोहां कस्बे मे स्थित पराग हॉस्पिटल पहुंची तो काफी मरीद देख हैरत में पड़ गए। उन्होंने देखा महिला को खून चढ़ाया जा रहा है। खून कहां से आया। कौन चढ़ा रहा था। इसकी जानकारी देने वाला कोई नहीं था। बताया गया कि पांचवी पास एक व्यक्ति मरीजों को खून चढ़ाता है। मरीजों की सेहत से हो रहे खिलवाड़ को देख अधिकारियों ने अस्पताल संचालक से पंजीकरण संबंधी दस्तावेज मांगे। डॉ. राजेन्द्र चौधरी ने बताया कि संचालक पंजीकरण संबंधी दस्तावेज नहीं दिखा सके। खून चढ़ाने वाली की योग्यता भी नहीं बता सके। पैरामेडिकल का कोर्स हासिल करने संबंधित दस्तावेज नहीं दिखा सके। उन्होंने नोटिस देकर हॉस्पिटल संचालक से पंजीकरण संबंधी दस्तावेज तलब किया है। घाव खुला छोड़ भागे कर्मचारी सीएमओ की टीम पहुंचने पर अस्पताल में भगदड़ मच गई। इलाज कर रहे कर्मचारी मरीजों को छोड़ भाग गए। नतीजतन कई मरीजों के हाथ में वीगो तो लगा था लेकिन उसमें ग्लूकोज व खून नहीं चढ़ाया जा रहा था। खाली बोतल भी हटाने वाला कोई नहीं था। एक मरीज की ड्रेसिंग हो रही थी। घाव खुला छोड़ कर्मचारी भाग खड़े हुए। ग्रामीण ने झोलाछाप डॉक्टरों की खोली पोल सीएमओ की टीम देख ग्रामीणों ने स्वास्थ्य सेवाओं की पोल खोल दी। ग्रामीणों का आरोप है कि निगोहां कस्बे में केवल हाइवे के किनारे एक दर्जन अस्पताल बिना पंजीकरण के चल रहे हैं। जिनके पास कोई डिग्री नहीं है। निजी अस्पताल का काम दलालों के सहारे चलता है। मरीज लाने वालों को मोटा कमीशन दिया जाता है। जब भी कोई जांच होती है तो उसमें कुछ नहीं होता है क्योंकि जांच के बाद दलालों के जरिए विभाग को उनका हिस्सा भेज दिया जाता है। ये काम आज से नहीं वर्षों से चलता चला आ रहा है। वर्जन मरीजों की सेहत से खिलवाड़ करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी। जिन लोगों ने टीम के अफसरों से अभद्रता की है उनके खिलाफ भी कार्रवाई होगी। खून चढ़ाने वाले अप्रशिक्षित कर्मचारियों को भी बख्शा नहीं जाएगा। डॉ. जीएस बाजपेई, सीएमओ

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