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बुजुर्ग मां ने गुर्दा देकर बचाई बेटे की जान

चार घंटे में प्रत्यारोपण हुआ पूरा अकेले दम पर संस्थान के डॉक्टरों ने किया प्रत्यारोपण लखनऊ। कार्यालय संवाददाता डॉ. राम मनोहर लोहिया संस्थान के डॉक्टरों ने गुरुवार को सांतवा गुर्दा प्रत्यारोपण कर...

बुजुर्ग मां ने गुर्दा देकर बचाई बेटे की जान
हिन्दुस्तान टीम,लखनऊThu, 08 Jun 2017 09:49 PM
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चार घंटे में प्रत्यारोपण हुआ पूरा अकेले दम पर संस्थान के डॉक्टरों ने किया प्रत्यारोपण लखनऊ। कार्यालय संवाददाता डॉ. राम मनोहर लोहिया संस्थान के डॉक्टरों ने गुरुवार को सांतवा गुर्दा प्रत्यारोपण कर नई इबारत लिखी है। इस बार मां ने बेटे को गुर्दा देकर सांसें दी है। खास बात यह है कि इस दफा डॉक्टरों ने अपने दम पर चार घंटे में प्रत्यारोपण किया। डॉक्टरों का कहना है कि मां व बेटे दोनों की तबीयत बेहतर है। बाराबंकी निवासी विनोदर सिंह (39) करीब एक साल से गुर्दे की गंभीर बीमारी की चपेट में है। कई अस्पतालों में इलाज कराया लेकिन तबीयत में सुधार नहीं हुआ। लगातार गुर्दे खराब होते चले गए। डायलिसिस से भी मरीज को राहत नहीं मिल रही थी। एक साल पहले लोहिया संस्थान के नेफ्रोलॉजी विभाग में डॉ. अभिलाष चन्द्रा के निर्देशन में इलाज शुरू कराया। जांच के बाद डॉ. चन्द्रा ने प्रत्यारोपण की जरूरत बताई। मां ने गुर्दा देकर बचाई जान यूरोलॉजी विभाग के डॉ. संजीत कुमार सिंह डॉक्टर की सलाह के बाद परिवारीजनों ने गुर्दा प्रत्यारोपण की कवायद शुरू की। गुर्दा देने के लिए परिवार के कई सदस्य राजी हुए। जांच पड़ताल के बाद मां सीता देवी(60) का गुर्दा बेटे में प्रत्यारोपित करने का फैसला हुआ। कागजी कार्रवाई व जांच पड़ताल के बाद गुरुवार को गुर्दा प्रत्यारोपण की कार्रवाई शुरू हुई। चार घंटे में चला ऑपरेशन यूरोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. ईश्वर रामदयाल ने बताया कि गुरुवार को गुर्दा प्रत्यारोपण की प्रक्रिया शुरू हुई। सुबह साढ़े 10 बजे से प्रत्यारोपण की प्रक्रिया शुरू हुई। लैप्रोस्कोप से मां सीतादेवी के बाई तरफ का गुर्दा निकाला गया। इसमें दो घंटे का समय लगा। इसके बाद चीरा लगाकर मरीज बेटे विनोद में गुर्दा प्रत्यारोपित किया गया। सामान्यता प्रत्यारोपण में छह से सात घंटे लगते थे। यह प्रत्यारोपण चार घंटे में पूरा हो गया है। अब तक सात मरीजों के सफल गुर्दा प्रत्यारोपण हो चुके हैं। सभी मरीजों की तबीयत में सुधार है। प्रत्यारोपण की संख्या बढ़ाने के लिए ठोस कदम उठाए जा रहे हैं। डॉ. दीपक मालवीय, निदेशक, लोहिया संस्थान

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