केजीएमयू मरीजों से ज्यादा अफसरों की सुरक्षा पर फुंक रहा पैसा
-तीन मंजिला के शताब्दी भवन में सिर्फ दो कैमरे -दो एजेंसियों को डाला कालीसूची में, लगाया 10-10 का अर्थदंड लखनऊ। कार्यालय संवाददाता केजीएमयू के अफसरों को मरीजों से ज्यादा डॉक्टर व कर्मचारियों की...
-तीन मंजिला के शताब्दी भवन में सिर्फ दो कैमरे -दो एजेंसियों को डाला कालीसूची में, लगाया 10-10 का अर्थदंड लखनऊ। कार्यालय संवाददाता केजीएमयू के अफसरों को मरीजों से ज्यादा डॉक्टर व कर्मचारियों की फिक्र है। प्रशासन मरीजों की सुरक्षा ताक पर रखकर करोड़ों रुपये डॉक्टरों की हिफाजत पर ही खर्च कर रहा है। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि शताब्दी फेज 1 में 250 बेड हैं और फेज टू में 700 बेड हैं। ज्यादातर बेड भरे रहते हैं। इसके बावजूद फेज 1 में मरीजों की निगरानी के लिए सिर्फ दो सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। वहीं फेज-टू में एक भी कैमरे नहीं लगे हैं। सुरक्षा गार्ड के नाम पर दोनों भवनों में 26 सुरक्षाकर्मी ही तैनात हैं। जबकि कुलपति कार्यालय, चिकित्सा अधीक्षक कार्यालय, ट्रॉमा सेंटर समेत दूसरे डॉक्टरों के कमरों के बाहर दर्जनों की संख्या में कैमरे लगे हैं। 156 एकड़ में फैले केजीएमयू में साढ़े चार हजार बेड हैं। 450 डॉक्टर व सात सौ से ज्यादा रेजीडेंट डॉक्टर तैनात हैं। 11 हजार से ज्यादा कर्मचारी तैनात हैं। शताब्दी फेन-टू में तो एक भी सीसीटीवी कैमर नहीं लगा है। नतीजतन अस्पताल में कौन आ रहा है? कौन जा रहा है? घटना होने पर सुबूत तक जुटाना मुश्किल होगा। जबकि फ्रेज 1 में दो कैमरे लगाए हैं। भूतल पर कैमरे लगे हैं। घटना की सच्चाई जानने के लिए पुलिस ने सीसीटीवी की फुटेल ले ली है। पुलिस अफसरों का कहना है कि बाकी के तल पर कैमरे न होने से घटना की सच्चाई का पता लगाना कठिन हो गया है। लिफ्ट की खराब हैं लाइटें शताब्दी फेज 1 में चार लिफ्ट हैं। इनमें दो डॉक्टर व दो मरीजों के लिए है। ज्यादातर लिफ्ट के भीतर लाइटें खराब हैं। अंधेरे में अनहोनी से इनकार नहीं किया जा सकता है। वहीं तीसरा तल पर सुरक्षा के नाम पर कुछ भी नहीं है। यहां आउटरीच यूनिट बनी है। जिसमें 12 कर्मचारियों की तैनाती है। लेकिन शाम पांच बजते ही यूनिट में ताला लग जाता है। इस यूनिट में कैंप में आए मरीजों के आंखों के ऑपरेशन होते हैं। तीसरा तल शाम होते ही वीरान हो जाता है। होश में आए अफसर, दो एजेंसी को डाला काली सूची में गैंगरेप की घटना के बाद केजीएमयू प्रशासन होश में आया। केजीएमयू कुलपति डॉ. एमएलबी भट्ट के निर्देश के बाद मैनपावर सप्लाई करने वाली दो एजेंसियों को काली सूची में डाल दिया गया है। साथ ही 10-10 लाख रुपये का जुर्माना ठोका गया है। प्रवक्ता डॉ. नरसिंह वर्मा ने बताया कि पांच एजेंसियां केजीएमयू में मैनपावर की सप्लाई कर रहे हैं। कुल 398 ठेका कर्मचारी तैनात हैं। उन्होंने बताया कि आरोपी मिश्र सिक्योरिटी और पैंथर्स एजेंसी को काली सूची में डाल दिया गया है। इनका अनुबंध तत्काल खत्म कर दिया गया है। दोनों पर 10-10 लाख रुपये का जुर्माना ठोका गया है। डॉक्टर-कर्मचारियों की सिफारिश पर तैनात होते ठेका कर्मचारी लखनऊ। कार्यालय संवाददाता केजीएमयू में योग्यता के अनुसार ठेका कर्मचारियों की तैनाती नहीं होती है। केजीएमयू में ठेके पर तैनाती का सिर्फ एक ही पैमाना है वह है जुगाड़। ज्यादातर ठेकाकर्मी डॉक्टर, पैरामेडिकल और कर्मचारियों के नाते-रिश्तेदार हैं। गैंगरेप के आरोपी विनय कश्यप की मां बाल रोग विभाग में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के पद पर तैनात हैं। घटना के बाद विनय की धरपकड़ के लिए पुलिस ने कई स्थानों पर छापेमारी की लेकिन वह फरार हो गया। विनय का पता लगाने के लिए बाल रोग विभाग में तैनात मां को जांच अधिकारियों ने बुलाया। केजीएमयू प्रवक्ता ने बताया कि विनय की मां ने पीडियाट्रिक सर्जरी विभाग में तैनात एक डॉक्टर से बेटे की नौकरी लगवाने को कहा। डॉक्टर की सिफारिश पर पैंथर्स एजेंसी में लिफ्टमैंन के पद पर विनय की तैनाती की थी। सिर्फ एजेंसी बदलती है कर्मचारी नहीं केजीएमयू में एजेंसी के ठेके का लंबा खेल चल रहा है। अफसरों की मिलीभगत से ठेके चेहतों को बांटा जा रहा है। केजीएमयू प्रशासन का दावा है कि सभी ठेके नियम-कानून के तहत दिए जा रहे हैं। एजेंसी बदले जाने के बावजूद कर्मचारी क्यों नहीं बदलते इस पर अफसर कुछ भी बोलने को राजी नहीं है। केजीएमयू में समय-समय पर एजेंसी तो बदल रही है लेकिन पुराने कर्मचारी काम पर लगे हैं। आरोपी शिवकुमार, संतोष और लिफ्ट मैन विनय समेत कई कर्मचारी आठ से 10 साल से तैनात हैं। जो पूरी ठेका व्यवस्था पर सवाल खड़े कर रहे हैं।