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60 स्ट्रेचर मिले फिर भी ट्रॉमा में गोद में ढोए जा रहे मरीज

लखनऊ। कार्यालय संवाददाता मरीजों को दुश्वारियां से बचाने के लिए संस्थाओं ने केजीएमयू ट्रॉमा सेंटर को 60 स्ट्रेचर दिए। इसके बावजूद तीमारदार गोद में मरीज ढो रहे हैं। यदि किसी को जद्दोजहद के बाद...

60 स्ट्रेचर मिले फिर भी ट्रॉमा में गोद में ढोए जा रहे मरीज
Center,LucknowThu, 25 May 2017 07:08 PM
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लखनऊ। कार्यालय संवाददाता मरीजों को दुश्वारियां से बचाने के लिए संस्थाओं ने केजीएमयू ट्रॉमा सेंटर को 60 स्ट्रेचर दिए। इसके बावजूद तीमारदार गोद में मरीज ढो रहे हैं। यदि किसी को जद्दोजहद के बाद स्ट्रेचर मिल भी गया तो मरीज के साथ जर्जर स्ट्रेचर को भी उठाना पड़ रहा है। केजीएमयू में स्ट्रेचर की बदहाल स्थिति पर ध्यान देने वाला कोई नहीं है। अफसर हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं। मरीज इलाज के लिए भटक रहे हैं। ट्रॉमा सेंटर में 300 से ज्यादा बेड हैं। रोजाना 250 से ज्यादा मरीज ट्रॉमा सेंटर में आ रहे हैं। मरीजों के दबाव की वजह से बेड हमेशा भरे रहते हैं। नतीजतन मरीजों को स्ट्रेचर पर इलाज मुहैया कराया जाता है। करीब 120 से ज्यादा स्ट्रेचर ट्रॉमा सेंटर में पहले थे। मरीजों की परेशानी को दूर करने के लिए बीते सोमवार को 50 स्ट्रेचर मिले। इसके बाद निजी संस्थान ने 10 स्ट्रेचर दान किए। 60 नए स्ट्रेचर मिलने के बाद ट्रॉमा सेंटर की सूरत नहीं बदली। स्ट्रेचर है नहीं उठाकर ले जाओ मरीज को बोन टीबी से पीड़ित शाहजहांपुर निवासी प्रदीप को गंभीर हाल में ट्रॉमा सेंटर लाया गया। वे चलने-फिरने में पूरी तरह से लाचार हैं। ट्रॉमा के डॉक्टरों ने मरीज को कस्तूरबा गांधी वार्ड जाकर जांच कराने की सलाह दी। कहां पहले जांच करा लाओ फिर भर्ती करेंगे। बुजुर्ग पिता महाराज सिंह स्ट्रेचर की तलाश में ट्रॉमा सेंटर के अफसरों के पास पहुंचे। यहां से उन्हें पीआरओ के पास भेजा गया। पीआरओ ने भी उनकी नहीं सुनी। कोई रास्ता भी नहीं सुझाया। थकहार कर परिवारीजनों ने मरीज को गोद में उठाना ही मुनासिब समझा। गोद में मरीज को ले जाकर जांच कराई। मरीज के साथ स्ट्रेचर का भार भी उठा रहे तीमारदार हजारों रुपये के स्ट्रेचर मिलने के बाद भी मरीजों को दुश्वारियां झेलनी पड़ रही है। ट्रॉमा के तमाम स्ट्रेचर जर्जर हैं। उनकी पहिया तक गायब हैं। नतीजतन मशक्कत के बाद मिले स्ट्रेचर पर मरीज को लादने के बाद स्ट्रेचर का भार भी उठाना पड़ रहा है। पेट की गंभीर बीमारी के बाद बाराबंकी की मीना को ट्रॉमा सेंटर लाया गया। तीमारदारों की गुजारिश पर उन्हें जर्जर स्ट्रेचर उपलब्ध कराया गया। मरीज के साथ स्ट्रेचर को उठाकर मरीज को वार्ड में शिफ्ट किया गया। आखिर कहां इस्तेमाल हो रहा है स्ट्रेचर का केजीएमयू में हजारों की संख्या में स्ट्रेचर उपलब्ध हैं। इसके बावजूद मरीजों को इसका फायदा नहीं मिल रहा है। मरीज बेहाल हैं। तीमारदार गोद में लेकर मरीजों को वार्ड में शिफ्ट कर रहे हैं। अब सवाल यह उठाता है कि आखिर स्ट्रेचर कहां इस्तेमाल हो रहे हैं। इस बावत अधिकारी जवाब देने की स्थिति में नहीं है। इस बावत केजीएमयू के सीएमएस डॉ. एसएन शंखवार का कहना है कि कुछ स्ट्रेचर टूटे हैं। जिन्हें दुरुस्त कराने के निर्देश दिए गए हैं। सभी गंभीर मरीजों को स्ट्रेचर उपलब्ध कराने के निर्देश दिए गए हैं।

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