यूजीसी की नए नियम से एमफिल की सीटें कम हुई
लखनऊ। निज संवाददाता
लखनऊ। निज संवाददाताबाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर केन्द्रीय विश्वविद्यालय के एमफिल कोर्स में दाखिला पाना आसान नहीं होगा,क्योंकि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के नए नियमों के तहत विश्वविद्यालय में एमफिल की सीटें काफी कम हो गई है। साथ ही दाखिले के लिए तभी अर्ह होंगे, जब प्रवेश परीक्षा में 50 फीसदी अंक हासिल करेंगे। यूजीसी ने करीब एक वर्ष पहले ही पीएचडी और एमफिल के लिए नई गाइड लाइन जारी की थी। इसके अनुरूप ही प्रत्येक विश्वविद्यालय को दोनों कोर्सो के लिए नया आर्डिनेंस तैयार करना था। बीबीएयू प्रशासन ने भी पीएचडी-एमफिल का नया आर्डिनेंश बना लिया था, पर इस अब शैक्षिक सत्र 2018-19 में पूरी तरह से लागू किया जा रहा है। इसके अनुसार ही पीएचडी और एमफिल में दाखिले के लिए प्रवेश परीक्षा होगी। यूजीसी की नई गाइड लाइन के अनुरूप बने नए नियमों से एमफिल में सीटों की संख्या पर काफी असर पड़ा है। बीबीएयू में जब एमफिल कोर्स शुरू हुए थे, तब इन कोर्सो में 20 से लेकर 30 सीटों पर दाखिले होते थे, पर अब ऐसा नहीं है। हालात यह है कि नए नियमो के लागू होने पर एमफिल में 50 फीसदी से अधिक सीटे कम हो गई हैं। एमफिल के लिए अब यूजीसी ने पीएचडी की तरह प्रत्येक शिक्षक का कोटा तय कर दिया है। जिससे कोई शिक्षक निर्धारित संख्या से अधिक छात्र को एमफिल नहीं करा सकता है। नए नियमों के अनुसार अब छात्रों के लिए सबसे बढ़ी परेशान प्रवेश परीक्षा को लेकर है। उन्हें दाखिले के लिए प्रवेश परीक्षा में कम से कम 50 फीसदी अंक हासिल करना होगा। तभी उन्हें साक्षात्कार के लिए बुलाया जाएगा। ------------------------------------------------शिक्षकों का कोटायूजीसी की नई गाइड लाइन के अनुसार एक असिस्टेंट प्रोफेसर-एक, एसोसिएट प्रोफेसर-2 और प्रोफेसर-3 छात्र को एमफिल करा सकता है। पहले यह कोटा तय नहीं था। इस तरह की व्यवस्था केवल पीएचडी के लिए लागू थी। साथ ही अब एमफिल पूरी करने की समय सीमा एक वर्ष से बढ़ाकर अधिकत डेढ़ वर्ष कर दी गई है। -----------------------------------------------------कोर्स सीटों की संख्याएमफिल समाजशास्त्र 12एमफिल शिक्षाशास्त्र 12एमफिल अर्थशास्त्र 11एमफिल प्रबन्ध 10एमफिल लाइब्रेरी एण्ड इनफारमेंशन साइंस 12 एमफिल मॉस कम्युनिकेशनएण्ड जर्नलिज्म 09एमफिल भौतिक विज्ञान 08एमफिल सांख्यिकी अभी निर्धारित नहीं