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नौशाद संगीत सम्मान

संगीत और काव्य के दो रत्नों के नाम हुई शाम

नौशाद संगीत सम्मान
हिन्दुस्तान टीम,लखनऊTue, 12 Mar 2019 07:40 PM
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संगीत और काव्य के दो रत्नों के नाम हुई शाम

-राय उमानाथ बली प्रेक्षागृह में 'नौशाद सम्मान समारोह-2019'

-रंगकर्म व कला क्षेत्र में योगदान के लिए 11 विभूतियों को दिया गया सम्मान

-लेजर लाइट एंड साउंड संग हुआ 'अटल पथ' का मंचन

लखनऊ। वरिष्ठ संवाददाता

'बैजू बावरा', 'मदर इंडिया', 'सोहणी माहिवाल', 'कोहिनूर', 'मुगल-ए-आजम', 'गंगा-जमुना'...इन सारी ऐतिहासिक फिल्मों में जो एक बात सामान्य है...वह है नौशाद का संगीत। 1940 से बतौर संगीतकार शुरुआत करने वाले नौशाद 2005 तक अपने हुनर का जादू बिखेरते रहे। लखनऊ के इस नायाब फनकार ने कुछ तो ऐसी धुनें बना डालीं, जिनका आज तक कोई तोड़ नहीं हुआ और शायद आगे भी नहीं होगा।

लखनवी तहजीब के पैरोकार संगीतकार व शायर नौशाद की याद में हर साल नौशाद संगीत डेवलपमेण्ट सोसायटी की ओर से 'नौशाद सम्मान' का अयोजन किया जाता है। इस सम्मान के तहत उन लोगों के योगदान को सराहा जाता है जो संगीत, कला, रंगकर्म, अभिनय आदि के क्षेत्र में योगदान दे रहे हैं। संगीतकार खय्याम, कल्याणजी आनन्दजी, सरोद वादक अमजद अली खां, संतूर वादक शिव कुमार शर्मा, नृत्यागंना व अभिनेत्री हेमामालिनी, गायिका रेखा भारद्वाज, रंग निर्देशक राज बिसारिया, सूर्यमोहन कुलश्रेष्ठ, जुगल किशोर जैसी हस्तियों को पूर्व में यह सम्मान दिया जा चुका है। मंगलवार को एक बार फिर नौशाद के नाम की यह महफिल सजी और राय उमानाथ बली प्रेक्षागृह में 'नौशाद संगीत सम्मान-2019' का आयोजन किया गया। यहां रंगकर्म व कला के क्षेत्र में सम्बंध रखने वाली 11 हस्तियों को सम्मानित किया गया। समारोह की सबसे खास बात रही, पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई की कविताओं पर आधारित और लेजर लाइट एंड साउंड से सजी प्रस्तुति 'अटल पथ'।

उम्दा लेखक भी थे नौशाद: नौशाद नवाबी घराने से नहीं थे लेकिन नवाब शुजाउद्दौला की साझा लखनवी तहजीब की परंपरा को लोगों को बखूबी समझाया। वह महज बेहतरीन संगीतकार नहीं बल्कि उम्दा लेखक भी थे। मशहूर फिल्म ‘दीदार की कहानी उन्होंने ही लिखी। ये बातें राजनेता अम्मार रिजवी ने सम्मान समारोह में कहीं। वहीं पूर्व प्रशासनिक अधिकारी अनीस अंसारी ने भी नौशाद से जुड़ी तमाम जानकारियां साझा कीं। समारोह में रंगनिर्देशक विलायत जाफरी ने कहा कि संगीतकार नौशाद बेहद खुद्दार और संघर्षशील व्यक्ति थे। उनके संघर्ष व अनुभव ने ही उनके फन को यादगार बनाया। वहीं सोसायटी के सचिव अतहर नबी ने अपनी संस्था के कार्यों का ब्यौरा सामने रखा। साथ ही संस्मरण रखते साझा करते हुए बताया कि नौशाद का बचपन यहीं बीता। रॉयल सिनेमा हॉल में संगीतकारों के साथ बैठकी के दौरान ही नौशाद का संगीत प्रेम परवान चढ़ा।

इन्हें मिला सम्मान-

प्रो. आसिफा ज़मानी, विलायत जाफरी, पुनीत अस्थाना, शबी जाफरी, जितेन्द्र मित्तल, चित्रा मोहन, विनय श्रीवास्तव, राजवीर रतन, एसएन लाल, आनन्द शर्मा व एस रिजवान।

'लौटकर आऊंगा, कूच से क्यों डरूं...'

'मैं जी भर जिया, मैं मन से मरूं, लौट कर आऊंगा, कूच से क्यों डरूं...'। पूर्व प्रधानमंत्री और कवि अटल बिहारी बाजपेई के जीवन का मर्म समझाती इस कविता को लेजर लाइट तकनीक और डिजिटल साउंड के साथ प्रस्तुत किया गया तो कविता और भी जीवंत हो उठी। इसी तरह 'कदम कभी रुके नहीं कभी डिगे नहीं...', 'पन्द्रह अगस्त की पुकार...', 'मैं न चुप हूं न गाता हूं...', 'दूध में दरार पड़ गई...', 'आओ फिर से दिया जलाएं...', 'मैं अखिल विश्व का गुरु महान...' जैसी 15 अनमोल कविताओं के साथ सजाई गई यह प्रस्तुति 'अटल पथ' एक बार फिर लोगों के जेहन में अटल जी की यादों को ताजा कर गई। आनन्द शर्मा के परिकल्पना व निर्देशन में हुए मंचन का मल्टीमीडिया संयोजन असद खान ने किया। अटल जी की भूमिका में मसूद अब्दुल्लाह थे। वहीं अन्य चरित्रों में अभिनेश मिश्र, दीपशिखा सिन्हा, पूर्णिमा शुक्ला, अस्मिता श्रीवास्तव, जुही, सुरेशचन्द्र, अजय सिंह, तुषार चैधरी, हृतिक कुमार, अनिल सिंह, शिवम मिश्रा व सत्यम शुक्ला आदि मंच पर थे। लगभग डेढ़ घंटे की इस प्रस्तुति में अटल के जीवन के प्रसंग, परमाणु परीक्षण आदि की तस्वीरें और वीडियो भी शामिल किए गए थे।

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