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हमारा संवैधानिक संघीय ढांचा अनेकता में एकता की गारंटी : मु्ख्तार अंसारी

राज्य मुख्यालय। विशेष संवाददाता। केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने हमारा संवैधानिक संघीय ढांचा अनेकता में एकता की गारंटी है। उन्होंने कहा कि केंद्र ने तय किया कि जो विधेयक संसद...

हमारा संवैधानिक संघीय ढांचा अनेकता में एकता की गारंटी : मु्ख्तार अंसारी
हिन्दुस्तान टीम,लखनऊFri, 17 Jan 2020 06:23 PM
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राज्य मुख्यालय। विशेष संवाददाताकेंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा है कि हमारा संवैधानिक संघीय ढांचा अनेकता में एकता की गारंटी है। कानून लागू होने में देरी पर चिंता व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि केंद्र ने तय किया है कि जो विधेयक संसद में आएंगे उनकी नियमावली भी पहले से बन जाएगी। शुक्रवार को सीपीए सम्मेलन में ‘जन प्रतिनिधियों का ध्यान विधायी कार्यों की ओर बढ़ाना विषय पर मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि संसद से या विधानमंडल से विधेयक तो पारित हो जाते हैं लेकिन वह लागू नहीं हो पाते। क्योंकि इसकी नियमावली संबंधित विभाग ठीक से नहीं बनाते। केंद्र सरकार ने 2014 से अब तक 1800 सौ अनुपयोगी कानून खत्म किए हैं। जनप्रतिनिधि अपने कर्तव्य भी जानेंअपने संसदीय अनुभव बताते हुए उन्होंने कहा कि जब वह पहली बार संसदीय कार्य राज्यमंत्री के तौर पर तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से मार्गदर्शन के लिए गए तो उन्होंने कहा कि सीखने के लिए नेता प्रतिपक्ष के पास जाकर सीखिए। नकवी ने कहा कि जनप्रतिनिधियों को अपने अधिकार, विशेषधिकार के बारे में तो पता होता है, लेकिन कर्तव्य भी जानना चाहिए। उन्होंने जनप्रतिनिधियों से कहा कि कर्त्तव्य के प्रति ईमानदारी की नजीर बनना चाहिए। जनसरोकार के सवाल उठाना, अनसुलझे सवाल उठाना, भी जरूरी है। कई सदस्य तो पूरे पांच साल तक कारवाई में भाग नहीं लेते या बोलते नहीं।सड़क पर हो रहे विरोध का असर हमारे कामकाज पर न पड़ेनकवी ने कहा कि सड़क पर बेचैनी हो तो उसका अक्स सदन में दिखता है लेकिन इसका असर हमारे कामकाज पर पड़े इसे कोई स्वीकार नहीं करता। किसी दल की संख्या से नहीं वरन सदन में प्रभावशाली भूमिका निभाने से सांसद या विधायक की पहचान बनती है। सदन स्थगित करा देने से नुकसान ही होता है। नकवी ने कहा कि जीवन, स्वतंत्रता, समानता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता से संबंधित मौलिक अधिकारों को बनाए रखना अत्यंत जरूरी है। जनप्रतिनिधि समेत सभी नागरिकों को राष्ट्र के प्रति अपने कर्तव्यों को गंभीरता से लेने की जरुरत है। भारत सबसे बड़े लोकतंत्र के रूप में उभरा है। जीवंत, बहुल संस्कृति, संसदीय प्रणाली के रूप में फला-फूला और मजबूत हुआ है। संविधान प्रत्येक समाज के अधिकारों की रक्षा करता है।

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