कटकाखानपुर की श्यामादेवी की गरीबी की वजह से आर्थिक स्थिति बहुत खराब थी। आगे बढ़ने के लिए बैंक से लोन भी मिलना मुश्किल था लेकिन एनआरएलएम के तहत गठित समूह से जुड़ने के बाद मिट्टी के बर्तन व खिलौने बनाने का काम शुरू किया। उसने दीपावली के त्योहार के अवसर पर मिट्टी के दीप तैयार करने का काम शुरू किया। आवश्यकता पड़ने पर उसे समूह से पैसा आसानी से मिल जाता है। उसका कहना है कि समूह की वजह से ही वह आगे बढ़ सकी। इसके माध्यम से अन्य महिलाओं को भी लाभ मिला है।
प्रशिक्षण के बाद सिलाई
सेऊर चमुरखा गांव की कपिला गुप्ता के पति प्राइवेट स्कूल में पढ़ाते थे, लेकिन उससे उनके परिवार का खर्च पूरा नहीं हो पाता था। वह राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत समूह से जुड़ गई। प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद समूह से पैसा लेकर सिलाई का काम शुरू किया। आज वह सिलाई सेन्टर का संचालन कर रही हैं। उसने कोरोना महामारी में मास्क तैयार कर जनपद स्तर पर एनआरएलएम के माध्यम से सरकारी विभागों को उपलब्ध कराया। आज उसकी आर्थिक स्थिति में काफी सुधार हुआ है।
वहीं सलोनी ने राष्ट्रीय ग्रामीण आाजीविका मिशन के तहत गठित समूह से जुड़ने के बाद समूह से पैसा लेकर ब्यूटी पार्लर की दुकान खोली। इसके माध्यम से वह जीवन में आगे बढ़ने का काम कर रही है। पहले उसे सरकारी योजनाओं के बारें में जानकारी नहीं हो पाती थी लेकिन समूह से जुड़ने के बाद इन योजनाओं के बारे में जानकारी मिल जाती है। इससे उसे योजनाओं का लाभ मिल जाता है।