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मिशन शक्ति: दोना बेचकर बबली ने संवारी अपनी जिंदगी

बबली जंगलों से पत्तल बटोरकर बाजार में बेचती है। ज्वाला समूह से जुड़ी बबली का परिवार उसके इस काम से किसी तरह गुजर-बसर कर रहा था। यह काम वह काफी समय से कर रही है, लेकिन इसमें चार चांद तब लग गए जब सरकार...

 मिशन शक्ति: दोना बेचकर बबली ने संवारी अपनी जिंदगी
हिन्दुस्तान संवाद,रायबरेली।Sun, 08 Nov 2020 11:53 PM
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बबली जंगलों से पत्तल बटोरकर बाजार में बेचती है। ज्वाला समूह से जुड़ी बबली का परिवार उसके इस काम से किसी तरह गुजर-बसर कर रहा था। यह काम वह काफी समय से कर रही है, लेकिन इसमें चार चांद तब लग गए जब सरकार की ओर से चल रहे समूह गठन के कार्यक्रम से वह जुड़ गई। 
कार्यक्रम से जुड़ने के बाद उसने दस महिलाओं का समूह बनाया। साथ ही दोना बनाने के काम में उसने अन्य महिलाओं को भी जोड़ा। बड़े पैमाने पर पत्ते बीनकर उसने दोना बेचने का काम उसने शुरू किया। अब उसका परिवार खुशहाल है। 
वहीं सत्यभामा पूर्व माध्यमिक विद्यालय की रसोइया है। 12 साल पहले पति की मौत के बाद ससुरालवालों ने उसे घर से निकाल दिया था। दूसरे घरों में काम करके उसने तीन बेटों व दो बेटियों की परवरिश कर उन्हें पैरों पर खड़ा किया। वह सरकार की योजना एनआरएलएम से जुड़ी और समूह गठन करने लगी। खुद आत्मनिर्भर होने के बाद अब वह अन्य महिलाओं को आत्मनिर्भर बना रही है।
इसी तरह गरीब परिवार की संसारवती ने खुद का समूह बनाकर दस महिलाओं के साथ काम शुरू किया। अनार एल्बम से जुड़ी, योजना को समझा। वह अब तक तीन अलग-अलग समूह बनाकर महिलाओं को आत्मनिर्भर बना रही है। पशुपालन और खेती के साथ सिलाई व कढ़ाई का काम भी वह सरकार की मदद से कर रही हैं। उनके प्रयास से अभी तक दो दर्जन परिवार आत्मनिर्भर बन चुके हैं।
 

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