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खनन से विभाग मालामाल, लोग बेहाल

राज्य मुख्यालय- प्रमुख संवाददाता। जब आम लोग 200 रुपये प्रति घन फुट की महंगी दरों पर मौरंग खरीदने को मजबूर थे खनन विभाग मोटी कमाई करने में जुटा था। हर वर्ष 150 करोड़ रुपये की आय वाले मौरंग से पिछले एक...

खनन से विभाग मालामाल, लोग बेहाल
हिन्दुस्तान टीम,लखनऊSun, 15 Apr 2018 05:43 PM
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राज्य मुख्यालय- प्रमुख संवाददाता। जब आम लोग 200 रुपये प्रति घन फुट की महंगी दरों पर मौरंग खरीदने को मजबूर थे खनन विभाग मोटी कमाई करने में जुटा था। हर वर्ष 150 करोड़ रुपये की आय वाले मौरंग से पिछले एक साल में विभाग ने 2200 करोड़ रुपये राजस्व जुटाए। वहीं कुल खनिज राजस्व में भी 15-20 फीसदी की बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है। जबकि आम लोग अब भी महंगी दरों पर बालू-मौरंग खरीदने को मजबूर हैं।

प्रदेश की 750 से अधिक खदानें चल नहीं पाईं हैं। रायल्टी चोरी और अवैध खनन धड़ल्ले से हो रहा है। अब अफसरों ने ओवरलोडिंग को वैध कर दिया है। 30 फीसदी तक ओवरलोडिंग का स्वीकृति दे दी गई है।

लोग परेशान, विभाग का खजाना भर गया

जब बालू-मौरंग का संकट था और लोग मजबूरी में महंगा माल खरीद रहे तो विभागीय अफसर दाम करने के प्रयासों के बजाए खजाना भरने में जुटे हुए थे। 2016-17 में 1547 करोड़ रुपये की आय हुई जो 2017-18 में बढ़कर 3200 करोड़ रुपये पर पहुंच गई। मौरंग के रेट 2017 में 200 रुपये प्रतिघन फिट के आसपास पहुंच गए थे बावजूद इसके विभाग ने 2016-17 में 150 करोड़ रुपये के मुकाबले 2017 में 2200 करोड़ रुपये कमाई कर ली।

खदानों में खुलेआम रायल्टी चोरी

मौरंग खदानों में ट्रांसपोर्टरों को लगभग 600 घनफिट माल का पैसा देना मजबूरी है। इससे कम माल तो मिल जाएगा लेकिन पैसे इतने वजन का ही देना होगा। इसके अलावा एक खेल और चल रहा है। खदान मालिक 1200 घनफिट तक माल लाद रहे हैं इसमें 600 घनफिट तक माल की रायल्टी ली जाती है बाकी 600 घनफिट बिना रायल्टी के ले जा सकते हैं। खनन अफसरों और पुलिस की मदद से यह खेल चल रहा है। इसमें सप्लायरों को बड़ी कमाई हो रही है। हालांकि इसका फायदा आम लोगों को नहीं हो पा रहा है। बिना रायल्टी लाया हुआ माल भी बाजार में तय मूल्यों पर ही बिक रहा है।

अफसरों की सुस्ती नहीं टूटी

खदानों को आवंटित करने के लिए ई-टेंडरिंग की प्रक्रिया पूरी होने के बाद विभाग को राजस्व मिल गया लेकिन विभागीय अफसरों ने इन खदानों को शुरू करने में दिलचस्पी नहीं दिखाई। हालात यह हैं कि तीन-तीन महीनें बाद भी खदानों पर खनन शुरू नहीं हो पा रहा है। मौरंग की 200 से अधिक खदानों में महज 40 ही पूरी या आंशिक तौर पर चल रही हैं।

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