लखनऊ से लेकर कानपुर तक मेट्रो के काम हुए बुरी तरह प्रभावित, मजदूरों की कमी से मेट्रो की स्पीड हुई कमलखनऊ प्रमुख संवाददातालाक डाउन खत्म होने के बाद अब मेट्रो के निर्माण की रफ्तार बढ़ाने के लिए मजदूर ही नहीं मिल रहे हैं। इनकी कमी से मेट्रो का काम बुरी तरह प्रभावित हुआ है। लखनऊ से लेकर कानपुर तक मेट्रो परियोजना को मजदूरों की भारी कमी खल रही है।यूपी मेट्रो रेल कारपोरेशन कानपुर में मेट्रो का निर्माण करा रहा है। जबकि लखनऊ में मेट्रो के डिपो के निर्माण की वजह से तोड़ी गई पीएसी की बैरक की जगह नयी बैरक बनायी जा रही है। लाक डाउन से पहले बहुत तेजी से काम चल रहा था। यूपी मेट्रो रेल कारपोरेशन ने कानपुर मेट्रो के निर्माण में लखनऊ का रिकॉर्ड तोड़ने की तैयारी की थी। कानपुर मेट्रो का काम पूरा करने के लिए 2 वर्ष का समय निर्धारित किया गया था। लेकिन यूपीएमआरसी ने इसे डेढ़ वर्ष के भीतर ही पूरा करने की तैयारी की थी। इसी के हिसाब से काम चल रहा था लेकिन अब इंजीनियरों के अरमानों पर पानी फिर गया है। पहले तो लाक डाउन की वजह से लंबे समय तक काम बंद रहा। अब निर्माण की इजाजत मिली तो मजदूर नहीं मिल रहे हैं। इंजीनियर व अधिकारी कुछ गिनती के मजदूरों के साथ काम करा रहे हैं। लखनऊ में कानपुर रोड रोड पर 32 वीं वाहिनी पीएसी परिसर में पीएसी वालों के लिए बैरक बनाने का काम भी बहुत धीमा हो गया है।---------------------लाक डाउन से पहले कहां कितने मजदूर थे अब कितने रह गये परियोजना पहले अबकानपुर मेन कारिडोर 1600 230कानपुर डिपो 1000 100लखनऊ पीएससी बैरक व क्वाटर्र 800 150मेट्रो कॉलोनी फिनिशिंग 300 60----------------------काम पूरा होने में कितना विलंब होगा, तय नहींमेट्रो की परियोजनाओं के पूरा होने में कितना वक्त लगेगा अभी इसका आकलन नहीं हो पाया है। मेट्रो के अधिकारी कहते हैं कि क्योंकि काफी समय काम बंद रहा है और अब शुरू होने के बाद लेबर नहीं मिल रहे हैं। लेबर कब तक आएंगे यह भी तय नहीं है। जब तक पूरे लेबर नहीं आ जाते तब तक काम पूरा होने की नई तिथि निर्धारित नहीं की जा सकेगी। --------------मेट्रो के निर्माण में लेबर की काफी कमी है। यूपीआरसीएल के इंजीनियर अधिकारी व कंपनियां काम में तेजी लाने के प्रयास में हैं। कम्पनियां मजूदर लाने की पूरी कोशिश में जुटी हैं। कुमार केशव, प्रबंध निदेशक, उत्तर प्रदेश मेट्रो रेल कारपोरेशन
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