पिकप में फर्जी दस्तावेज लगा 500 करोड़ हड़प कर गायब हो गए आरोपी
Lucknow News - -साठगाँठ कर दबा दी गई थी फाइलें, ईओडब्ल्यू की जांच में सामने आई कई गड़बड़ियां

-गोमतीनगर थाने में वर्ष 2004 में लिखी गई थी रिपोर्ट, वर्ष 1993 में हुआ था फर्जीवाड़ा एडीजी नीरा रावत ने दिए सख्त कार्यवाई के आदेश लखनऊ, विशेष संवाददाता प्रदेशीय औद्योगिक एवं निवेश निगम लिमिटेड उत्तर प्रदेश (पिकप) में फर्जी दस्तावेजों से वर्ष 1993 में 500 करोड़ रुपये का ऋण लेकर मथुरा की कम्पनी ने फर्जीवाड़ा किया गया। इस कम्पनी विजय केमिकल्स लि. ने इथाइल एल्कोहल के उत्पादन के लिए कोसीकलां में यूनिट लगाने के नाम पर यह खेल किया था। इसमें पिकप के तत्कालीन अफसरों व कर्मचारियों ने भी उसका साथ दिया। इसकी जांच में कई तथ्य छिपा लिए गए थे।
ईओडब्ल्यू ने जब जांच की तो कई साक्ष्य मिले। सात लोग अभी फरार है। वर्ष 1993 में इस फर्जीवाड़ा का खुलासा होने पर वर्ष 2004 में गोमतीनगर थाने में एफआईआर हुई थी। गोमतीनगर पुलिस ने विवेचना शुरू की तो कई तथ्य हाथ लगे। तब कुछ लोगों की साठगांठ से यह जांच लगभग थम सी गई थी। इसमें कई और आरोपी बनाए जाने थे जो बाद में बचा लिए गए। जो आरोपी बने, वह भी 21 साल गिरफ्तारी से बचते रहे। कुछ समय पहले ईओडब्ल्यू की डीजी नीरा रावत ने पुराने मामलों की फाइलें खुलवाईं। 21 साल से कार्रवाई नहीं हुई फाइल से पता चला कि 500 करोड़ से अधिक का गबन करने के आरोपी विजय केमिकल्स लि. के अधिकारी शरद प्रसाद चतुर्वेदी के साथ ही कई और लोग थे। इन पर कोई कार्रवाई ही नहीं हुई थी। टीम लगी तो शरद पकड़ में आ गए। शरद से पूछताछ में कई और जानकारियां आई हैं। यह भी पता चला कि उस समय जितने लोग फर्जीवाड़े में थे, उसमें अधिकतर रिटायर हो चुके हैं। डीजी नीरा रावत ने अन्य आरोपियों पर भी सख्त कार्रवाई करने को कहा है। इसी तरह गोण्डा में सरकारी जमीनों के फर्जी दस्तावेज बनाकर बेच डालने के मामले में भी ईओडब्ल्यू ने जांच शुरू की। इसमें दो दिन में दो आरोपियों को पकड़ा गया। अभी कई फरार है।
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