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खुशखबरी : बहन के सुहाग के लिए भाई ने दिया लिवर, लखनऊ मेडिकल कॉलेज में दूसरा लिवर ट्रांसप्लांट रहा कामयाब

  केजीएमयू के डॉक्टरों ने गुरुवार को दूसरा लिवर प्रत्यारोपण करने में कामयाबी हासिल की है। खास बात यह थी कि इस बार प्रत्यारोपण 11 घंटे में ही हो गया। पहली बार में इसमें 13 घंटे लगे...

खुशखबरी : बहन के सुहाग के लिए भाई ने दिया लिवर,  लखनऊ मेडिकल कॉलेज में दूसरा लिवर ट्रांसप्लांट रहा कामयाब
वरिष्ठ संवाददाता,लखनऊ ’Fri, 10 May 2019 12:16 PM
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केजीएमयू के डॉक्टरों ने गुरुवार को दूसरा लिवर प्रत्यारोपण करने में कामयाबी हासिल की है। खास बात यह थी कि इस बार प्रत्यारोपण 11 घंटे में ही हो गया। पहली बार में इसमें 13 घंटे लगे थे।  डॉक्टरों के मुताबिक प्रत्यारोपण के बाद अब मरीज की तबीयत स्थिर है। उन्हें आईसीयू में भर्ती किया गया है। वहीं बहन का सुहाग बचाने के लिए लिवर देने वाले भाई की सेहत भी ठीक है। बता दें कि बीते 14 मार्च में केजीएमयू में पहला लिवर प्रत्यारोपण हुआ था।

लिवर सिरोसिस से पीड़ित था मरीज
सरोजिनीनगर निवासी नवीन बाजपेई (45) लिवर सिरोसिस की चपेट थे। कई अस्पतालों में इलाज कराया लेकिन फायदा नहीं हुआ। करीब एक साल पहले गंभीर हालत में मरीज को केजीएमयू लाया गया। यहां गेस्ट्रो सर्जरी विभाग के अध्यक्ष डॉ. अभिजीत चन्द्रा ने जांच के बाद लिवर सिरोसिस की पुष्टि की और लिवर प्रत्यारोपण की जरूरत बताई।

पेट में भर गया था पानी
एक माह पूर्व मरीज को शताब्दी फेज एक के गेस्ट्रो सर्जरी विभाग में भर्ती किया गया। लिवर फेल होने के कारण उसके पेट में पानी भर गया था। पीलिया का स्तर भी बढ़ रहा था। हालत बिगड़ती हालत देख प्रत्यारोपण का फैसला लिया गया। ऑर्गन ट्रांसप्लांट विभाग के डॉ. विवेक गुप्ता ने भी परीक्षण करके तुरंत प्रत्यारोपण की जरूरत बताई।

छह सदस्य अनफिट
प्रत्यारोपण के लिए मरीज की पत्नी, बहनों व अन्य सदस्यों के लिवर की जांच हुई लेकिन इनमें से किसी का लिवर प्रत्यारोपण लायक नहीं था। आखिर में मरीज के साले पवन (35) का लिवर मैच कर गया।  

सुबह पांच बजे से ऑपरेशन
केजीएमयू सीएमएस डॉ. एसएन शंखवार ने बताया कि गुरुवार को सुबह पांच बजे ऑपरेशन शुरू किया गया, जो कि शाम करीब चार बजे तक चला। पवन के लिवर का 30-40 प्रतिशत हिस्सा निकाला गया। उधर मरीज का ओपेन सर्जरी ऑपरेशन शुरू हुआ। डॉ. अभिजीत चन्द्रा ने बताया कि लिवर कुछ महीने में फिर विकसित हो जाता है। अब मरीज व डोनर दोनों ठीक हैं।  

ये है डॉक्टरों की टीम
सर्जिकल गेस्ट्रोइण्ट्रोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. अभिजीत चन्द्रा, ऑर्गन ट्रांसप्लांट विभाग के डॉ. विवेक गुप्ता, डॉ. विशाल गुप्ता, डॉ. प्रदीप जोशी, एनेस्थीसिया विभाग के डॉ. मोहम्मद परवेज, डॉ. अनीता मलिक, डॉ. तन्मय तिवारी, डॉ. एहसान, रेडियोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. नीरा कोहली, डॉ. अनित परिहार व डॉ. रोहित, ब्लड एंड ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभागाध्यक्ष डॉ. तुलिका चन्द्रा, माइक्रोबायोलॉजी विभाग के डॉ. प्रशान्त, डॉ. शीतल वर्मा, सीएमएस डॉ. एसएन शंखवार आदि डॉक्टर शामिल रहे। 

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