सिंदूर खेला के साथ मां को दी गई विदाई
-विसर्जन स्थल मेले जैसा नजारा, 80 बड़ी और दो दर्जन से अधिक छोटी मूर्तियों का हुआ...
-विसर्जन स्थल मेले जैसा नजारा, 80 बड़ी और दो दर्जन से अधिक छोटी मूर्तियों का हुआ विसर्जन
'अशबोचोर आबार होबे' अगले साथ मां दुर्गा पंडालों में फिर से विराजें इस उद्घोष के साथ शुक्रवार को दुर्गा पूजा का समापन हो गया। शहर की 80 से अधिक पूजा पंडालों में महिलाओं ने मां दुर्गा की प्रतिमा के साथ सिंदूर की होली खेली। महिलाएं एक-दूसरे से सिंदूर खेलती और गले मिलकर नम आंखों से माता को एक साल के लिये विदाई देती नजर आईं। महिलाओं ने इस अवसर पर लाल और सफेद रंग की पारंपरिक साड़ी पहनी थी।
पूजा पंडालों से लेकर शाम को गोमती किनारे विसर्जन स्थल तक महिलाएं और पुरुष मां को बड़ी श्रद्धापूर्वक लेकर पहुंचे। नाचते-झूमते और सिंदूर खेलते महिलाओं का माहौल देखते ही बना। बंगाली क्लब, विक्टरी इलेवन सुंदरबाग, मॉडल हाउस समेत शहर की विभिन्न पूजाओं से मूर्तियों को भक्त विभिन्न साधनों से विसर्जन स्थल तक ले जाते नजर आये। गोमती किनारे दुर्गा पूजा विसर्जन कमेटी और जिला प्रशासन ने पुख्ता इंतजाम किये थे। एक-एक कर यहां विभिन्न पूजा पंडालों के लोगों के पहुंचने पर मेले जैसा नजारा देखने को मिला। सिविल डिफेंस के वालेंटियरों ने भी यहां विसर्जन में सहयोग दिया। जानकीपुरम, इंदिरागनर, गोमतीनगर, चारबाग, राजाजीपुरम की बड़ी मूर्तियों के विसर्जन के साथ ही दो दर्जन से अधिक छोटी मूर्तियों का विसर्जन भी यहां किया गया।
कंधे पर गोमती तक ले गये मां की मूर्ति
शहर की दूसरी सबसे पुरानी दुर्गा पूजा कमेटी विद्यांत कॉलेज इस बार अपने 82 साल पूरे कर रही है। इस पूजा कमेटी में शुरूआत से मां को मूर्ति को यहां के लोग कंधे पर उठाकर विसर्जन स्थल तक ले जाते हैं। परंपरा आ इस बार भी यहां के पदाधिकारियों ने निर्वाह किया जो देखते ही बना।