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पशुधन फर्जीवाड़ा: करोड़ों का ठेका दिलाने को आईपीएस से की थी डील 

पशुपालन विभाग में हुए फर्जीवाड़े के आरोपियों में शामिल चार लोगों ने पांच जिलों में करोड़ों के टेंडर अपने परिचितों को दिलाने के लिये एक आईपीएस अधिकारी के साथ डील की थी।  इस डील में लखनऊ, बाराबंकी,...

पशुधन फर्जीवाड़ा: करोड़ों का ठेका दिलाने को आईपीएस से की थी डील 
विधि सिंह, लखनऊ।Wed, 24 Jun 2020 12:20 PM
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पशुपालन विभाग में हुए फर्जीवाड़े के आरोपियों में शामिल चार लोगों ने पांच जिलों में करोड़ों के टेंडर अपने परिचितों को दिलाने के लिये एक आईपीएस अधिकारी के साथ डील की थी। 
इस डील में लखनऊ, बाराबंकी, रायबरेली, कौशाम्बी व बरेली में काम के ठेके थे। इनमें सबसे बड़ा टेंडर बरेली और कौशाम्बी में बस अड्डे के निर्माण, लखनऊ में दिव्यांगों के लिये भवन और कस्तूरबा गांधी विद्यालय के छात्रावास से जुड़े थे। 
पशुपालन विभाग के फर्जीवाड़े की जांच के दौरान ही एसटीएफ को इन धांधली के बारे में भी पता चला। इस पर एक रिपोर्ट शासन को भेजी जा चुकी है। दावा किया जा रहा है कि पशुपालन विभाग के सभी आरोपियों के गिरफ्त में आने के बाद इसकी जांच शुरू कर दी जायेगी। 
    इसी साल मार्च में पशुधन राज्यमंत्री जय प्रकाश निषाद के निजी प्रधान सचिव रजनीश दीक्षित, निजी सचिव धीरज कुमार देव, इलेक्ट्रानिक न्यूज चैनल के पत्रकार आशीष राय, अनिल राय, कथित पत्रकार एके राजीव, रूपक राय व उमाशंकर के खिलाफ जांच शुरू हुई थी। इन लोगों के खिलाफ कड़ी से कड़ी जोड़ रही एसटीएफ को इन पांच जिलों के ठेके के बारे में कुछ सुबूत हाथ लगे। सामने आया कि ठेका दिलाने के लिये एक आईपीएस भी लगातार इन आरोपियों के सम्पर्क में रहे। इन लोगों की एक रिकार्डिंग भी एसटीएफ के पास है। अब यह पता किया जा रहा है कि डील कैसे हुई। इसमें कौन और लोगों की भूमिका रही? क्या ठेका दिला भी दिया गया अथवा पशुपालन फर्जीवाड़ा की तरह ही ठेकेदारों को ठगा गया। हालांकि एक अधिकारी का कहना है कि दो ठेकों का टेंडर पास करा लिया गया था। इसके बदले कमीशन मिला और उसकी बंदरबांट भी की गई। 
गाजियाबाद में 70 लाख वापस करने पड़े
पशुपालन फर्जीवाड़े में शामिल दो लोगों ने मुम्बई के एक व्यापारी से 90 लाख रुपये ठेके के नाम पर ऐंठ लिये थे। इतना ही नहीं उसने रुपये मांगे तो एक पुलिस अधिकारी से मिलकर इस व्यापारी को धमकवा दिया गया। पर, इस बार इन लोगों को मुंह की खानी पड़ गई थी। इस व्यापारी ने मुम्बई के एक पुलिस अधिकारी से ऐसा दबाव बनवाया कि आरोपियों को 70 लाख रुपये लौटाने पड़े थे।   

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